Shinzo Abe : नाना-दादा कद्दावर नेता रहे, स्टील प्लांट में काम किया, जानें सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे आबे के बारे में सबकुछ
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की आज सुबह गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमले के बाद आबे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। घटना को अंजाम देने वाला एक संदिग्ध भी पकड़ा गया है। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर इस घटना को अंजाम क्यों दिया गया? हमलावर का मकसद क्या था?
शिंजो आबे दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में शुमार थे। वह जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे हैं। उनके नाना-दादा देश के कद्दावर राजनीतिक परिवार से आते थे। शिंजो आबे का जन्म 21 सितंबर 1954 को टोक्यो में हुआ था। आबे देश के प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका परिवार मूल रूप से यामागुची प्रांत का रहने वाला है। यहीं उनके दादा कॉन आबे और पिता शिंटारो आबे का जन्म हुआ था। उनके परदादा विस्काउंट योशिमा इंपीरियल जापानी सेना के जनरल रह चुके थे। आबे की मां योको किशी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नोबुसेकु किशी की बेटी हैं। नोबुसेकु 1957 से 1960 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे। आबे ने ओसाका में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की थी। यहां की साइकेई यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद आगे की पढ़ाई के लिए आबे अमेरिका चले गए। अमेरिका की सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी की।
स्टील प्लांट में काम किया
अमेरिका से वापस आने के बाद अप्रैल 1979 में आबे ने कोबे स्टील प्लांट में काम करना शुरू किया। दो साल बाद वर्ष 1982 में उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रख दिया। राजनेता बनने से पहले उन्होंने सरकार से जुड़े कई पदों पर अपनी जिम्मेदारियां निभाई। साल 1993 में आबे के पिता की मृत्यु हो गई थी और फिर आबे ने चुनाव लड़ा। चुनाव में उन्हें जीत मिली और वो यामागुशी से सांसद चुने गए।
सबसे युवा पीएम
साल 2006 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के आबे को प्रधानमंत्री चुना गया। तब उनकी उम्र 52 साल थी। वह साल 2007 तक देश के पीएम रहे। इस दौरान उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। आबे न सिर्फ युद्ध के बाद देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने बल्कि वह पहले ऐसे पीएम थे जिनका जन्म सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद हुआ था। इसके बाद दूसरी बार 26 दिसंबर 2012 से 16 दिसंबर 2020 तक वह लगातार प्रधानमंत्री रहे। वो देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिसने सबसे लंबे समय तक इस पद को संभाला। इस बीच वह बीमार हो गए। बीमारी बढ़ने के चलते उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, इस बीच वह लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष बने रहे।
नॉर्थ कोरिया से विवाद सुलझाया : शिंजो आबे को नॉर्थ कोरिया के लिए उनके सख्त रवैये के लिए जाना जाता है। वर्ष 2001 में नॉर्थ कोरियन नागरिकों ने जापान के नागरिकों का अपहरण कर लिया था। आबे जापान की सरकार की ओर से मुख्य मध्यस्थ के तौर पर भेजे गए थे। आबे ने वर्ष 2002 में नॉर्थ कोरिया के उस समय के प्रधानमंत्री और तानाशाह किम जोंग इल से मुलाकात की। उनके प्रयासों से संकट सुलझा और उनके चाहने वालों की संख्या बढ़ गई थी।
‘लव फॉर कंट्री’ : आबे ने जापान की राजनीति के साथ ही वहां की अर्थव्यवस्था को भी एक नया रंग दिया। आबे की आर्थिक नीतियों ने एक नए शब्द ‘आबेनॉमिक्स’ को जन्म दिया। इसकी तर्ज पर ही भारत में पीएम नरेंद्र मोदी मोदी की आर्थिक नीतियों को ‘मोदीनॉमिक्स’ नाम दिया गया था। आबे ने मार्च 2007 में राइट विंग राजनेताओं के साथ मिलकर एक बिल का प्रस्ताव रखा था। इस बिल के तहत जापान के युवाओं में अपने देश और गृहनगर के लिए प्यार को बढ़ाने के लिए कई तरह की बातें थीं। बिल को ‘लव फॉर कंट्री,’ के नाम से पास कराया गया।
