यूक्रेन से घर लौटी चम्पावत जिले की शिवानी, बोली- घर पहुंचने की उम्मीद में पता ही नहीं चला कैसे पूरी हो गई 12 किमी की पैदल दूरी
चम्पावत। रूस का हमला झेल रहे यूक्रेन में तमाम भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। कुछ निकल भी आए हैं। उनमें से एक खुशनसीब लोहाघाट की रहने वाली शिवानी जोशी भी हैं। वे सकुशल अपने माता पिता के पास पहुंच गई हैं। उनका कहना है कि रूस के हमले को झेल रहे यूक्रेन में दिल दहला देने वाली धमकों की आवाज अब भी गूंज रही है। यद्यपि हमारा शहर इवानो जंग की लपटों से दूर था लेकिन चारों तरफ के माहौल में बस एक ही शोर था जंग से कैसे बचें? कब थमेगा तबाही लाने वाला ये युद्ध…?’ यूक्रेन में फंसी मेडिकल प्रथम सेमेस्टर की गंगनौला (लोहाघाट) निवासी शिवानी जोशी आपबीती सुनाते हुए कानों में गूंजने वाले युद्ध के शोर में खो जाती है। बहरहाल सोमवार शाम साढ़े चार बजे शिवानी सकुशल हल्द्वानी स्थित अपने घर पहुंची तो मां किरन बेटी से लिपट गईं। बता दें कि शिवानी के पिता पिता भुवन जोशी इन दिनों हल्द्वानी रह रहे हैं।
शिवानी बताती है कि 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के साथ ही इवानो शहर में अफरातफरी मच गई। खाने पीने की जरूरी सामग्री के अलावा कुछ नगदी रख ली। रविवार को बस के बाद 12 किमी पैदल सफर कर वह यूक्रेन से रूमानिया पहुंची। खौफनाक हालात के बीच घर वापसी के लिए दो घंटे में इस पैदल दूरी को पूरा करने में थकान नामभर की भी नहीं लगी। रूमानिया की सीमा पर जल्द से जल्द पहुंचने के लिए पांव खुद-ब-खुद आगे बढ़ते चले गए। रूमानिया की सीमा पर ही भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने मदद की। पासपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेजों के सत्यापन के बाद उन्हें एयर इंडिया का टिकट दे दिया गया। नैनीताल की प्रेरणा बिष्ट और उर्वशी के साथ शिवानी सोमवार सुबह दिल्ली हवाई अड्डे पहुंच गई। हवाई अड्डे पर पहले से मौजूद पिता भुवन जोशी दिल्ली से बेटी को लेकर हल्द्वानी घर पहुंचे। शिवानी बताती हैं कि यूक्रेन के नागरिक दूसरे देश के लोगों के साथ अपनेपन का बर्ताव करते हैं, लेकिन इस वक्त वे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। चम्पावत जिले के पांच छात्र-छात्राओं में से ओसीन अधिकारी, आदित्य शर्मा रूमानिया और सोनाली गुप्ता और दिव्यांशु विश्वकर्मा अभी यूक्रेन में ही फंसे हैं।