श्री गंगा दशहरा पर्व : द्वार पत्र के माध्यम से ‘वनाग्नि’ को लेकर लोगों को जागरूक रहे भगवत पांडेय
विदेशों में रह रहे भारतीय भी अपने घरों में लगाते हैं भगवत पांडेय द्वारा तैयार किए गए द्वार पत्र
लोहाघाट/चम्पावत। भारतीय संस्कृति, सभ्यता और धर्मिक आस्था की मुख्य विसारत गंगा नदी के धरती पर अवतरण का पर्व श्री गंगा दशहरा इस वर्ष 16 जून (रविवार) को मनाया गया। धार्मिक मान्यता है कि गंगा मैया को महाराज भगीरथ अपने तप से जिस दिन इस धरती पर लाये थे वह ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। इस कारण यह तिथि गंगा दशहरा के नाम से जानी जाती है। मालूम हो कि कुमाऊँ में इसे ‘दशार’ भी कहा जाता है। इस दिन लोग गंगा नदी के साथ इसकी सहयोगी नदियों और पवित्र सरोवरों में स्नान-दान कर दश पापों को हरने की प्रार्थना करते हैं। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गंगा द्वार पत्र लगाया जाता है।
लोहाघाट के ग्राम पाटन पाटनी निवासी साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राजस्व विभाग में कार्यरत भगवत प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि मान्यता यह है कि गंगा द्वार पत्र लगाने से घर में बज्रपात और अग्निकाण्ड का भय नहीं रहता है। उन्होंने बताया कि गंगा नदी के साथ ही अन्य नदियों, तालाबों, सरोबरों आदि का अस्तित्व आज खतरे में है। पेड़ों का अत्यधिक पातन होने से जंगल नष्ट हो रहे हैं और वर्षा कम हो रही है। उल्लेखनीय है कि भगवत प्रसाद पाण्डेय प्रतिवर्ष अपने हाथ से द्वार पत्र बना कर कोई न कोई संदेश अवश्य देते हैं। इस बार वनाग्नि की बढ़ती घटनाएं देख कर उन्होंने वनों को आग से बचाने की बात चित्रित की है। उनका कहना है कि साल दर साल वनाग्नि घटनाएं बहुत हो रही हैं। वनों में आग का मुख्य कारण मानवीय लापरवाही और शरारत है। इस बार के द्वार पत्र में भगवत प्रसाद पाण्डेय ने वनों को आग से बचाने की बात चित्रित करते हुए लोगों को जागरूक रहने और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने की अपील की है।
इससे पूर्व के वर्षों में भी समसामयिक मुद्दों पर उनके द्वारा जल संकट, कोरोना काल में मास्क एवम् वैक्सीन की महत्व,ग्लोबल वॉर्मिंग, वोटिंग के प्रति जागरूकता, कोलीढेक झील , पर्यटन जैसे तमाम मुद्दों पर द्वार पत्र बनाये गये जो काफ़ी लोकप्रिय हुए थे। भगवत पाण्डेय ने बताया कि भारत में द्वार पत्र आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीय अपने घर द्वार में इसको लगाना भी चाहते हैं तो उनको यह नहीं मिल पाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से वह अपने बनाए गये द्वार पत्र अमेरिका, इंग्लैंड , फ़्रांस, बेल्जियम आदि देशों में रह रहे अपने परिचितों को भी ऑनलाइन भेज रहे हैं। जिससे विदेशों में रह रहे लोग भी भारतीय जड़ों से जुड़े रहें। उन्होंने बताया कि विदेश में उनके परिचित प्रति वर्ष उनके बनाये गंगा दशहरा द्वार पत्र को कलर्ड प्रिंट निकाल कर अपने घर में लगाते हैं। वहीं भगवत पाण्डेय के इस मुहिम का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया और कहा कि जो पीढ़ी विदेशों में जाकर अपने रीति रिवाजों, संस्कृति से दूर होती जाती है उनको इस प्रकार से गंगा दशहरा द्वार पत्र से जोड़े रखना एक शानदार कार्य है।