स्वाला की आफत में कुछ राहत : मलवा हटाने के साथ ही किए गए ट्रीममेंट के फंसे वाहनों को निकालने की कवायद हुई शुरू

चम्पावत। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्वाला पर लोगों के लिए आफत बने स्लाइडिंग जोन पर से कुछ राहत भरी खबर आ रही है। पूरे 16 दिन बाद जाम हुए एनएच पर 17वें दिन आज 28 सितंबर की शाम करीब पांच बजे एनएच से मलबा हटाने, रैंप निर्माण और ऐंकरिंग का काम होने के बाद वाहनों का ट्रायल लिया गया।

चम्पावत : स्वाला में लोडेड वाहनों का ट्रायल सफल रहा।
एनएच के अधिकारियों के मुताबिक टनकपुर-चम्पावत राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन प्रभावित स्वाला किलोमीटर 106.300 में 36 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद रैंप बनकर तैयार हो गया है। शनिवार देर शाम उक्त स्थान पर मार्ग पर फंसे कुछ वाहनों को निकालकर रैंप का ट्रायल लिया गया। पहाड़ी के भीतर से लगातार पानी रिसने की वजह से रैंप पर कीचड़ हो रहा है। जिसका स्थाई उपचार गतिमान है। प्राप्त सूचना अनुसार फिलहाल सूखीढांग और बनलेख के बीच वाहनों का संचालन नहीं होगा। कल प्रात: परिस्थिति ठीक होने व मार्ग खुल जाने पर सूचना से अवगत कराया जाएगा।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया है कि अभी छोटे वाहनों के साथ ही बड़े वाहनों का भी ट्रायल शुरु किया जा रहा है। स्वांला अमोड़ी के बीच फंसे वाहनों को निकालने की कवायद चल रही है, लेकिन अभी टनकपुर या चम्पावत की ओर से वाहनों की आवाजाही की इजाजत नहीं है। रैंप ठीक से काम करने से आगे अन्य वाहनों को लेकर निर्णय लिया जाएगा। मालूम हो कि करीब चार दिन तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद लगातार मलबा आने से 12 सितंबर से टनकपुर-चम्पावत के बीच स्वांला में आवाजाही वाधित है।
कल शुक्रवार से मौके पर डटे एनएच खंड के मुख्य अभियंता दयानंद और अधीक्षण अभियंता अनिल पांगती की मौजूदगी रंग लाई। स्वांला से सड़क को सुचारु करने के लिए पहाड़ी की तरफ से नई तकनीक से काम किया। कल दिन और पूरी रात काम होने के बाद रैंप निर्माण और ऐंकरिंग का काम तकरीबन पूरा कर लिया गया है। बताया गया कि पहले हल्के वाहन चलाए जाएंगे और फिर हालत ठीक रहने पर भारी वाहन चलाए जाएंगे। एनएच पर स्वांला के इस हिस्से से मनवे के निस्तारण के लिए 19 सितंबर से सुबह 6 बजे से मध्यान्ह 12 बजे तक आवाजाही के लिए बंद रखा गया है। जबकि 24 सितंबर से आज 28 सितंबर तक पूरे दिन आवाजाही पर रोक लगाई गई थी। वहीं टनकपुर-चंपावत के वीच सफर करने वालों को जीप-टैक्सी के जरिए रीठा सांहिव-सूखीढांग होते हुए 70 किलोमीटर अधिक दूरी और ज्यादा किराया देकर कठिनाइयों के बीच आवाजाही करनी पड़ रही है। जबकि भारी वाहन लोहाघाट-देवीधुरा-हल्द्वानी होते हुए आवाजाही कर रहे हैं।
