छात्र संघ चुनाव : जेएनयू में ऐतिहासिक बदलाव, अदिति और गोपिका की जीत ने रचा इतिहास, पहली बार बहुमत में लड़कियां
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2025 में वाम एकता (Left Unity) ने चारों बड़े पदों पर कब्जा करके शानदार जीत हासिल की है। इससे कैंपस में एक बार फिर वामपंथी विचारधारा का दबदबा कायम हो गया है। सबसे खास बात है कि इस बार जेएनयूएसयू की केंद्रीय टीम में पहली बार लड़कियों की संख्या ज्यादा है, जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है। जेएनयूएसयू छात्र संघ चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि कैंपस की राजनीति में छात्राएं मजबूती से आगे आ रही हैं।

इस चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि जेएनयू के स्टूडेंट्स न सिर्फ अपने हक के लिए जागरूक हैं, बल्कि वे महिलाओं को लीडर के तौर पर भी खुशी-खुशी स्वीकार भी कर रहे हैं। अदिति मिश्रा का अध्यक्ष बनना और के. गोपिका बाबू का उपाध्यक्ष बनना बताता है कि अब विश्वविद्यालय के चुनाव में महिलाएं ही निर्णायक ताकत बन गई हैं। लड़कियों की ज्यादा संख्या ने पूरे देश का ध्यान खींचा है, जो देश के शिक्षण संस्थानों में लैंगिक समानता (Gender Equality) लाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
जेएनयूएसयू चुनाव 2025 के नतीजों के अनुसार, वाम एकता ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और केंद्रीय टीम के 4 में से 2 बड़े पदों पर लड़कियों को जिताया है। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) की अदिति मिश्रा ने अध्यक्ष का पद जीता है, वहीं स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की के. गोपिका बाबू उपाध्यक्ष बनी हैं। इतिहास में पहली बार केंद्रीय पैनल के चार में से दो पदों पर लड़कियां हैं। इससे साफ पता चलता है कि संगठन में लड़कियों की भागीदारी और उनका असर अब बहुत बढ़ गया है।
इस चुनाव में वाम एकता ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) को बुरी तरह हराकर चारों केंद्रीय पदों पर कब्जा जमा लिया है। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर लड़कियों की जीत के अलावा डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) के सुनील यादव ने महासचिव का पद जीता, जबकि AISA के दानिश अली संयुक्त सचिव चुने गए। पिछले चुनावों में एबीवीपी ने 1 पद जीतकर वाम एकता की पूरी जीत को रोका था, लेकिन इस बार वाम एकता गठबंधन ने अपनी पुरानी ताकत वापस लाते हुए शानदार वापसी की है।
इस बार के जेएनयूएसयू चुनाव में महिला उम्मीदवारों ने पहले से ज्यादा हिस्सा लिया। केंद्रीय पैनल के लिए खड़े कुल 20 उम्मीदवारों में से लगभग 30% महिलाएं थीं। यह आंकड़ा दिखाता है कि कैंपस की राजनीति में महिलाएं सक्रिय हो रही हैं। केंद्रीय पैनल में लड़कियों की ज्यादा संख्या के साथ-साथ अलग-अलग काउंसलर पदों पर भी महिलाएं ही ज्यादा जीती हैं। यह जेएनयू के लोकतांत्रिक तरीके को संतुलित और सबके लिए बराबर बना रहा है। कैंपस के अंदर और बाहर, दोनों जगह इन नतीजों की सकारात्मक चर्चा हो रही है।

