टनकपुर पुस्तक मेला : पुस्तक मेले से बढ़ेगी पुस्तकों के प्रति रुचि
राज्य बनने के बाद चम्पावत जिले के मैदानी क्षेत्र टनकपुर में 22 साल में पहली बार लगने वाला पुस्तक मेला लोगों में पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ाने में मददगार साबित होगा। इंटरनेट के इस दौर में लोगों का पुस्तक रुझान काफी कम हो गया है। ऐसे में इस महीने लगने वाले इस पुस्तक मेले से फिर से पुस्तकों के प्रति दिलचस्पी बढ़ने की उम्मीद है। चम्पावत जिले में छह साल से एक भी पुस्तक मेला नहीं लगा है। इससे पूर्व सिर्फ चम्पावत में ही दो पुस्तक मेले लगे थे। टनकपुर के गांधी ग्राउंड में पहली बार 24 दिसंबर से दो दिनी पुस्तक मेला आयोजित किया जा रहा है। इस पुस्तक मेले में नेशनल बुक ट्रस्ट सहित 50 प्रकाशकों की पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी। आयोजन समिति के अध्यक्ष रोहिताश अग्रवाल का कहना है कि इस मेले से पुस्तकों के प्रति मैदानी क्षेत्र के लोगों का रुझान बढ़ेगा।
नागरिक पुस्तकालय से ज्ञान हासिल कर रहे लोग
चम्पावत। जिले में सरकारी पुस्तकालय तो दो हैं लेकिन सामूहिक प्रयासों से 11 सिटीजन लाइब्रेरी बन चुकी हैं। 2016 बैच के उत्तराखंड पीसीएस टॉपर और टनकपुर के मौजूदा एसडीएम हिमांशु कफल्टिया की पहल से ये लाइब्रेरी स्थापित की गई हैं। इन लाइब्रेरियों से प्रतियोगी छात्र-छात्राओं और युवाओं को पढ़ने का मंच मिला है। लाइब्रेरियों में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एनसीईआरटी, सामान्य ज्ञान, विषयगत किताबों के अलावा साहित्य और प्रेरणा देने वाली दो हजार से अधिक पुस्तकें हैं। नवंबर 2020 में टनकपुर तहसील से शुरू ये लाइब्रेरी टनकपुर नगर पालिका, बनबसा, सल्ली, सूखीढांग, तलियाबांज, डांडा, बुड़म, ऊचौलीगोठ, फागपुर और छीनीगोठ तक खोली जा चुकी हैं।
जिला पुस्तकालय को है विस्तार की जरूरत
चम्पावत। 2015 में स्थापित चम्पावत जिला पुस्तकालय में पिछले कुछ समय से सुधार तो हुआ है लेकिन प्रतियोगी छात्र-छात्राओं की संख्या के सापेक्ष यह छोटा पड़ने लगा है। इस तीन मंजिल पुस्तकालय का वर्तमान में 120 छात्र-छात्राओं को लाभ मिल रहा है। पुस्तकालय की क्षमता कम होने से काफी युवाओं को परेशानी होती है। सीईओ जितेंद्र सक्सेना का कहना है कि पुस्तकें और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ पुस्तकालय की क्षमता के विस्तार की कार्यवाही की जा रही है।