उत्तराखण्ड

वसूली का लक्ष्य पूरा न होने पर तहसीलदार ने स्वयं, अधीनस्थ और नौ संग्रह अमीनों का वेतन रोका

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उत्तराखंड के उधमसिंह नगर की तहसील सितारगंज के तहसीलदार ने ऐसा कदम उठाया है, जिसके बारे में सामान्यतया सरकारी कर्मचारी से अपेक्षा नहीं की जाती है। बकायेदारों से वसूली शत प्रतिशत न होने से असंतुष्ट तहसीलदार ने अपना, नायब तहसीलदार और नौ संग्रह अमीनों का वेतन रोक दिया है। तहसीलदार ने कहा कि वसूली में संग्रह अमीनों के साथ ही उनकी भी जिम्मेदारी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने बताया कि समीक्षा करने पर वसूली में लापरवाही सामने आई। तहसील में जुलाई में विधिक देय की रकम 763 लाख के लक्ष्य के सापेक्ष 78 लाख रुपयों की वसूली हुई जो 10.23 प्रतिशत है, जबकि 33 प्रतिशत लक्ष्य पूरा करना था। लक्ष्य प्राप्त न करने पर उन्होंने खुद के अलावा नायब तहसीलदार नानकमत्ता राजेंद्र सनवाल, संग्रह अमीन अशोक छावड़ा, त्रिलोक शर्मा, मो. सादिक, प्रताप सिंह राणा, अनिल जोशी, रामजी अरोरा, उमाशंकर, विपिन चंद्र, मदनलाल शर्मा का वेतन आहरण नहीं किया। तहसीलदार ने कहा कि सामूहिक रूप से वसूली कार्य किया। दो बकायेदारों पर मुकदमे भी दर्ज कराए, लेकिन राजस्व परिषद के आयुक्त व सचिव के आदेश के तहत वसूली नहीं हो पा रही थी।
उन्होंने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में मुख्य देय 83 प्रतिशत और विविध देय 33 प्रतिशत नियत हैं। इसके सापेक्ष सितारगंज तहसील में मुख्य देय 78 प्रतिशत और विविध देय 10.23 प्रतिशत ही रहा जो निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष कम है। समीक्षा बैठक में अगस्त महीने का लक्ष्य 41 प्रतिशत पूरा न करने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। तहसीलदार ने बताया कि क्षेत्र के बड़े ऋण बकाएदारों के नाम मुख्य चौराहों व सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग बनाकर चस्पा किए हैं, जिन्हें दस अगस्त तक बकाया ऋण जमा करने निर्देश दिए हैं। एसडीएम तुषार सैनी ने कहा है कि तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने लक्ष्य पूरा करने के लिए सार्थक प्रयास किया है। वसूली अभियान लगातार तेजी लाने के निर्देश दिए जाते रहे हैं। वसूली करने निर्देशों का पालन न होने पर अलग.अलग समीक्षा की जाएगी। वसूली में लक्ष्य पूरा करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा।