दुनिया ने है माना आज भारत के ज्ञान को, जब चाँद पर उतारा हमने रोवर प्रज्ञान को, रविवासरीय मासांत गोष्ठी का हुआ आयोजन
चम्पावत। माह अगस्त की रविवासरीय मासांत काव्य गोष्ठी का आयोजन साहित्यक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच के तत्वावधान में श्री कुर्मांचल एंग्लो संस्कृत विद्यालय चम्पावत में किया गया। जिसमें उपस्थित कवियों, साहित्य प्रेमियों ने समसामायिक विषयों और सामाजिक परिवेश व सामाजिक जागरुकता लाने में मंच की भूमिका आदि संदर्भों में विचार विमर्श तथा चर्चा परिचर्चा की। कवियों द्वारा विभिन्न विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की गईं।
गोष्ठी की अध्यक्षता पुष्कर सिंह बोहरा ने की व संचालन डॉ. सतीश चन्द्र पांडेय ने किया। काव्य गोष्ठी के उपरांत डॉ.कीर्ति बल्लभ शक्टा की पुस्तक ‘मन-निर्झर’ का विमोचन भी किया गया। काव्य गोष्ठी की शुरुआत करते हुए डॉ. भुवन चन्द्र जोशी ने कहा.. अशिक्षा है अभिशाप, सबकी हो शिक्षा! शिक्षा का अधिकार सब को दिला दो, जब ज्ञान फैले स्वयं हों प्रकाशित, ज्योति से जगमग जग को करा दो। डॉ. सतीश चन्द्र पाण्डेय ने कहा… आपकी किरणें ओ सूरज! सृष्टि को वरदान हैं। अंकित भट्ट ने कहा… कदम जो चले थे चवन्त्रियों को थाम कर, साइकिलों से नज़रें थी दूर आसमान पर। बबीता जोशी ने कहा… कुहासा घना ही सही छट जायेगा, अंधेरा बहुत देर से सही, सुनो कुछ देर में पौ फट जायेगा।
डॉ. तिलकराज जोशी ने कहा… चाँद पर उतर गया है आज चन्द्रयान, भारत, सभी कहें कि एक देश है महान। पुष्कर सिंह बोहरा ने कहा… स्वतः बनी सुगम राह की चहल पहल हो गई ठंडी, मुफ्त मिली अनमोल विरासत लुप्त हो रही पगडंडी। कविता शक्टा ने कहा… श्रावण मास की पूर्णिमा को, आता यह त्योहार है, रक्षा का प्रण लेना ही, रक्षा बन्धन का सार है। फाल्गुनी शक्टा ने कहा… दुनिया ने है माना आज भारत के ज्ञान को, जब चाँद पर उतारा हमने रोवर प्रज्ञान को। कीर्तिवल्लभ शक्टा ने कहा… वाराणसी की महिमा अनौखी, शोभा बनी भारत की। गोष्ठी में कु. अवनि शक्टा, सुरेश भट्ट, चम्पा जोशी, नीरज, दयाशंकर जोशी, अरविन्द जोशी, हिमांशु थ्वाल आदि लोग श्रोता के रूप में उपस्थित रहे।