सिगरेट से कैंसर का साक्ष्य नहीं, बीमा क्लेम खारिज नहीं कर सकती कंपनी
गुजरात की एक उपभोक्ता अदालत ने बीमा कंपनी को यह कहते हुए फेफड़े के कैंसर रोगी को मुआवजा देने के लिए कहा है कि सिगरेट पीने से कैंसर की पुष्टि का कोई साक्ष्य अब तक सामने नहीं आया है। कंपनी ने इस व्यक्ति को यह कहते हुए मुआवजा देने से इनकार कर दिया था किवह सिगरेट पीता था। अब कंपनी को सात प्रतिशत ब्याज दर के साथ क्लेम राशि देनी होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मामले में कंपनी ने पीड़ित आलोक बनर्जी का 93297 रुपये का अस्पताल बिल का दावा खारिज किया था। उन्हें ‘एडेनोकार्सिनोमा ऑफ लंग’ नामक कैंसर हुआ था। कंपनी ने उन्हें सिगरेट का आदी बताकर उनका दावा स्वीकार नहीं किया। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि किसी को सिगरेट पीने से कैंसर की पुष्टि कभी नहीं हो पाई है। इलाज से जुड़े कुछ अध्ययनों में ‘स्मोकिंग की लत’ का उल्लेख है लेकिन इसे फेफड़ों के कैंसर का आधार नहीं माना जा सकता। आयोग अध्यक्ष केएस पटेल और सदस्य केपी मेहता ने अपने आदेश में कहा कि फेफड़े का कैंसर उन लोगों को भी होता है, जो सिगरेट नहीं पीते। ऐसे में बीमा दावा खारिज करना सही नहीं है। मामला अगस्त, 2016 का है, लिहाजा याची को सात प्रतिशत सालाना ब्याज दर के साथ अस्पताल खर्च चुकाया जाए। उसे तीन हजार रुपये मानसिक परेशानी और दो हजार रुपये कानूनी खर्च के लिए भी दिए जाएं। इसके लिए बीमा कंपनी को 30 दिन का समय दिया गया है।