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एनएचपीसी की पॉवर चैनल में लीकेज से ग्रामीणों में हड़कंप, एसडीएम ने कहा- खतरे की बात नहीं, पांच लीटर प्रति सेकेंड है लीकेज

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एनएचपीसी के जीएम सहित उच्च अधिकारी लीकेज बंद करने में जुटे, एनएचपीसी ने विशेषज्ञ गोताखोरों की टीम बुलाई

टनकपुर। एनएचपीसी की टनकपुर जल विद्युत परियोजना में सैलानीगोठ नई बस्ती के पास पॉवर चैनल से लीकेज हो रहा है। लीकेज से बस्ती के ग्रामीण दहशत में हैं। उन्होंने लीकेज को तुरंत काबू करने की मांग की है। वहीं टनकपुर तहसील प्रशासन का कहना है कि एनएचपीसी लीकेज से निपटने की सभी व्यवस्था कर रहा है। पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है। लीकेज की गति कम होने से कोई खतरा नहीं है। प्रशासन का एनएचपीसी से पूरा समन्वय बना हुआ है।

शारदा नदी पर निर्मित 120 मेगावाट क्षमता की टनकपुर जल विद्युत परियोजना का निर्माण वर्ष 1992 में हुआ था। इस परियोजना से उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और दिल्ली को बिजली आपूर्ति की जाती है। 6.387 किमोमीटर लंबी पावर चैनल है। बुधवार को टनकपुर से पांच किलोमीटर दूर सैलानीगोठ ग्राम पंचायत के नई बस्ती क्षेत्र के लोग एनएचपीसी की पॉवर चैनल से लीकेज देख सकते में आ गए। तुरंत ही एनएचपीसी के महाप्रबंधक राजिल व्यास सहित परियोजना के कई उच्चाधिकारी मौके पर पहुंच निगरानी और लीकेज की रोकथाम में जुट गए। टनकपुर के एसडीएम आकाश जोशी का कहना है कि लीकेज चार से पांच लीटर प्रति सेकेंड की गति से है, इसलिए किसी तरह की खतरे की बात नहीं है। एनएचपीसी ने लीकेज को जानने के लिए विशेषज्ञ गोताखोरों की टीम बुला ली गई है। बृहस्पतिवार से लीकेज की रोकथाम का काम शुरू हो जाएगा। एसडीएम का कहना है कि फिलहाल किसी तरह की चिंता की बात नहीं है। अगर जरूरत पड़ेगी, तो पावर चैनल बंद कर दिया जाएगा।

पहले भी हुआ एनएचपीसी पावर चैनल में रिसाव
बनबसा एनएचपीसी की पावर चैनल पूर्व में भी कई बार क्षतिग्रस्त हो चुकी है। 20 जनवरी 2006 में पैकेज फोर में ग्राम फागपुर की ओर पानी का रिसाव हुआ था। इससे पूर्व एनएचपीसी ने 12 जनवरी 2006 को 452 मिलियन यूनिट का देय विद्युत उत्पादन लक्ष्य पूरा कर लिया था। इसके बाद फिर 30 जनवरी को पैकेज फोर में ही दूसरी जगह रिसाव हुआ। इसके निर्माण के बाद नौ फरवरी 2006 से उत्पादन शुरू हुआ। फिर 14 मार्च 2006 को पावर चैनल में रिसाव हुआ। बार-बार होने वाले रिसाव को बंद करने को लेकर 25 जनवरी 2008 में रिसाव वाले करीब 400 मीटर क्षेत्र में इटली निर्मित जीओ मेंबरेन शीट बिछाने का कार्य किया गया। इसके लिए पावर चैनल को पूरी तरह बंद कर उत्पादन भी बंद किया गया था। कोरिया की कंपनी ने जिओ मेंबरेन शीट बिछाने का काम किया था। करीब 40 दिनों तक बनबसा स्थित टनकपुर पावर स्टेशन का बिजली उत्पादन ठप रहा था और 7 मार्च 2008 से यहां बिजली फिर से बनने लगी। मार्च 2008 के बाद से एनएचपीसी की पावर चैनल में बुधवार 31 जनवरी 2024 को 16 वर्ष बाद रिसाव हुआ है।

रिसाव के लिए टोपोग्राफी से जुड़े कई कारण होते हैं जिम्मेदार
एनएचपीसी की पावर चैनल में रिसाव का कारण बताते हुए एक विशेषज्ञ ने बताया कि जमीन की बनावट (टोपोग्राफी) के कारण कई बार पावर चैनल में रिसाव होता है। एनएचपीसी की पावर चैनल जमीन से ऊंची होने से पुरानी जड़ें आदि के लंबे समय बाद सड़ने से वहां जमीन पर गड्ढा होने से जमीन का धंसाव होने से पानी रिसने की आशंका बढ़ जाती है। बताया गया है कई बार नेवला, खरगोश, बड़े चूहे और शाही आदि के बिल बना देने से भी पावर चैनल में रिसाव की आशंका रहती है। एनएचपीसी प्रशासन ने बताया कि रिसाव का वास्तविक कारण जांच के बाद ही पता चल सकेगा।