इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है ये पुल, पर एक साथ नहीं गुजर सकते हैं दो वाहन
चम्पावत। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल्थी में लधिया नदी पर बना पुल इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। ये अपनी तरह का अनौखा पुल है। यह पुल पहाड़ और मैदान की लाइफ लाइन को जोड़े रखने का काम करता है। कोई दूसरा पुल नहीं बनने से साढ़े पांच दशक बाद भी चल्थी का यह पुल आवाजाही का अकेला जरिया है। एनएच पर आमतौर पर रोजाना छोटे-बड़े 400 से ज्यादा वाहन गुजरते हैं, लेकिन इस पुल के संकरा होने से यहां एक समय में सिर्फ एक ही वाहन गुजरता है। इस वजह से यहां से गुजरने वाले वाहनों को परेशानी होती है। लोनिवि के ईई एमसी पांडेय कहते हैं कि बगैर खंभों के सहारे खड़े इस पुल का पूरा वजन उसके ऊपरी (धनुष आकार वाले ढांचे पर) हिस्से पर है। राष्ट्रीय राजमार्ग की आवाजाही का सबसे महत्वपूर्ण पुल का विकल्प नहीं होने से 1956 में बना यह पुल 55 साल बाद भी आवाजाही के काम आ रहा है। आरसीसी स्ट्रक्चर पर आधारित 110 मीटर लंबे पुल की चौड़ाई महज दस फीट है। जिस कारण इस पुल से एक समय में एक ही वाहन गुजर सकता है। धौलीगंगा जल विद्युत परियोजना की तमाम भारी-भरकम मशीन और दूसरे उपकरण भी इस पुल से गुजरे। निर्माण के बाद भी इस पुल को कभी मरम्मत भी नहीं हुई। वहीं चल्थी पुल पर डेढ़ दशक पहले स्वीकृत 144 मीटर लंबा पुल विवादों की भेंट चढ़ा। काम शुरू होने के बावजूद कार्यदायी संस्था और काम कराने वाले ठेकेदार के बीच विवाद होने से इस पुल को बाद में खारिज कर दिया गया था।
आईआईटी के अभियंता ने बनाया था डिजाइन
एनएच पर स्थित चल्थी में बना यह पुल बगैर किसी खंभों के सहारे खड़ा है। पुल का पूरा वजन उसके ऊपरी (धनुष आकार वाले ढांचे पर) हिस्से पर है। इस खूबसूरत पुल का डिजाइन एक आईआईटी स्नातक इंजीनियर ने बनाया था। लोहाघाट के एई पीएन मिश्रा ने इस डिजायन को बनाने के साथ इसका निर्माण कराया था।
एनएच पर बन रहा है नया पुल
वर्तमान की जरूरत को देखते हुए अब आल वैदर रोड पर पुल का निर्माण हो रहा है, लेकिन पुल तैयार होने में काफी समय लगेगा। एनएच खंड लोहाघाट के ईई एलडी मथेला का कहना है कि लधिया नदी पर बन रहा यह पुल इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। इस पुल पर दो वाहन एक साथ गुजर सकेंगे।