नेपाल के डडेलधुरा आंचल में दो दिनी परशुराम साहित्य महोत्सव का समापन, सम्मानित किए गए पूर्णागिरि के पुजारी
डडेलधुरा (नेपाल)। नेपाल-भारत न केवल घनिष्ठ पड़ोसी हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ताल्लुकात भी हैं। नेपाल के डडेलधुरा आंचल (जिला) में हुए दो दिनी परशुराम साहित्य महोत्सव के समापन मौके पर पूर्णागिरि मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी ने कहा कि इन प्रगाढ़ रिश्तों को आस्था के धाम पूर्णाागार और डडेलधुरा के परशुराम धाम की यात्रा से और मजबूत किया जा सकता है।
परशुराम नगर पालिका प्रमुख भरत बडैर जोशी ने कहा कि साहित्य, संगीत, संस्कृति, भाषा और सभ्यता के संरक्षण के साथ ही हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थल परशुराम धाम के प्रचार प्रसार के लिए साहित्य महोत्सव का आयोजन कराया गया। स्कंद पुराण और लोक कथाओं के आधार पर परशुराम धाम का बेहद गौरवपूर्ण अतीत है। डॉक्टर स्वामी केशवानंद, तीर्थराज अवस्थी, कैलाश कुमार पांडेय ने कहा कि नेपाल की सीमा पार भारत के चम्पावत जिले का पूर्णागिरि धाम नेपाल के हिंदुओं की आस्था की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। परशुराम धाम और पूर्णागिरि धाम से सांस्कृतिक आदान प्रदान के साथ ही दोनों देशों का पर्यटन भी बढेगा। नगरपालिका ने इस क्षेत्र में सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक सद्भाव और ऐतिहासिक विरासत और साहित्यिक उत्सवों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ये आयोजन किया। दो दिनी महोत्सव में परशुराम धाम और परी में पूर्णागिरि, उद्यम और उद्यमिता, दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य, कविता में अंतर पीढ़ीगत संवाद, गांव में सिंघा दरबार, कितने नारे हैं वास्तविक, आख्यानों और पर्वत रानी डडेलधुरा के इर्द गिर्द परशुराम, संभावनाओं की खान आदि विषयों पर गहन चर्चा हुई। कार्यक्रम में पूर्णागिरि के पंडित मोहन पांडेय, पंडित नवीन तिवारी पंडित लालमणि पांडेय, पंडित जगदीश तिवारी, कांग्रेस के सभापति भीम बहादुर, वरुण पनेरु आदि मौजूद थे।