उत्तराखंड : हाईकोर्ट ने दिए उद्यान विभाग में हुए घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश, सरकार को सहयोग करने के निर्देश, जानें घोटाले की पूरी कहानी…

नैनीताल हाईकोर्ट ने उद्यान विभाग में हुए घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस मामले को अति गंभीर मानते हुए राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिए हैं कि अधिकारी इस मामले में सीबीआई को सभी दस्तावेजों के साथ सहयोग करें।

दीपक करगेती ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को यह निर्णय सुनाया। खंडपीठ के समक्ष 11 अक्तूबर को मामले की सुनवाई हुई थी इसके बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था। बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश ने अपनी सेवानिवृत्त पर यह निर्णय सुनाया।
देखते हैं..एसआईटी कैसी जांच करती है
पूर्व में कोर्ट ने एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर सुनवाई की थी, लेकिन कोर्ट इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुई। सरकार की ओर से कहा गया था कि एसआईटी ने जांच पूरी कर ली है। इस पर कोर्ट ने सरकार से सवाल किया था कि जिन लोगों के खिलाफ घपले के सबूत पाए गए हैं उनके खिलाफ उन्होंने क्या कार्रवाई की। कोर्ट ने मामले की प्रारंभिक जांच करने के लिए राज्य सरकार के अनुरोध पर एसआईटी को जांच सौंपी थी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि देखते हैं कि एसआईटी कैसी जांच करती है।
याचिका में यह की गई थी मांग
याचिका में कहा गया था कि उद्यान विभाग में लाखों का घोटाला किया गया है। पौधरोपण में गड़बडियां की गई हैं। विभाग की ओर से एक ही दिन में वर्कऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पेड़ लाना दिखाया गया है। इसका भुगतान भी कर दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस पूरे मामले में कई वित्तीय और अन्य गड़बडियां हुई हैं इसलिए इसकी सीबीआई या फिर किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच कराई जाए।
नियमों को ताक पर रखा…नर्सरी लाइसेंस देने, फल पौध आवंटन में गड़बड़ी पर निलंबित हुए थे बवेजा
नियमों से इतर उत्तरकाशी में नर्सरी लाइसेंस जारी करने, फल पौध आवंटन में गड़बड़ी पर सरकार ने उद्यान निदेशक डॉ. एचसी बवेजा को जून माह में निलंबित कर दिया था। उन पर आरोप थे कि उत्तराखंड नर्सरी एक्ट के नियमों को ताक पर रखकर अनिका ट्रेडर्स को उत्तरकाशी में 0.50 हेक्टेयर भूमि पर नर्सरी का लाइसेंस जारी किया गया।
05 जनवरी 2023 को लाइसेंस देने के कुछ दिनों बाद ही कंपनी को फल पौध आवंटन करने के आदेश भी दिए गए। जबकि एक्ट में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति या फर्म नर्सरी लाइसेंस के लिए आवेदन करता है तो विभागीय टीम चयनित भूमि का निरीक्षण और सत्यापन करेगी। लेकिन लाइसेंस जारी करने में इनका पालन नहीं किया गया। साथ ही लाइसेंस जारी करने के कुछ दिन बाद नर्सरी में पौध तैयार होना संभव नहीं है।
कंपनी के पास पर्याप्त फल पौध न होने के बावजूद किसानों को पौधे उपलब्ध कराने का काम दिया गया। कंपनी के पास उत्तरकाशी की नर्सरी में सेब व अन्य फलदार पौध नहीं होने पर जम्मू कश्मीर व हिमाचल से खरीद कर किसानों को महंगे दाम पर उपलब्ध कराए जाते थे। साथ ही एक गांव के आठ किसानों को मानकों के विपरीत लाभ पहुंचाया गया। इन आरोपों की जांच के बाद सरकार ने उद्यान निदेशक को निलंबित किया था।
