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उत्तराखंड : ‘पति नास्तिक है, धार्मिक रीति-रिवाज नहीं मानता’ महिला ने हाईकोर्ट में दी तलाक की अर्जी

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पति पत्नी के बीच चल रहे आपसी झगड़े के मामले पर सुनवाई की। मामले को विचाराधीन रखते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने फिलहाल मामले को उच्च न्यायालय के समझौता केंद्र को रेफर कर दिया है। विवाहित महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया है कि वह उसके धर्म का अनुपालन नहीं करता है और न ही उसके रीति रिवाज को मानता है। वह नास्तिक मिजाज का इंसान है. लिहाजा उसे पति से तलाक दिलाया जाए।

मामले के अनुसार, एक महिला ने अपने पति से इस आधार पर तलाक की मांग की है कि उसका पति नास्तिक है और धार्मिक रीति-रिवाजों को नहीं मानता। महिला का कहना है कि उसके ससुराल वाले भी नास्तिक हैं और धार्मिक रीति-रिवाजों को नहीं मानते। जबकि महिला और उसके ससुराल वाले दोनों एक ही धर्म के हैं। इसलिए जिसका परिवार धार्मिक परंपराओं को नहीं मानता, उस परिवार से उसे छुटकारा चाहिए। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने बसे बसाए परिवार को बचाने के लिए उच्च न्यायालय में स्थित समझौता केंद्र को भेजा है।

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मामले के अनुसार, महिला का कहना है कि उसका पति और ससुराल वाले एक नामी संत के अनुयायी हैं और किसी भी हिंदू परंपरा का पालन नहीं करते हैं। जबकि वह एक धार्मिक महिला है और पूजा पाठ करना चाहती है, जो उसे नहीं करने दिया जा रहा है। महिला ने आरोप लगाया कि शादी के बाद उसे घर का मंदिर हटाने और देवताओं की मूर्तियां तक पैक कर बाहर रख देने के लिए कहा गया। इतना ही नहीं, जब उनके बेटे का नामकरण संस्कार करने का समय आया, तो पति ने यह कहकर इनकार कर दिया कि उनके आध्यात्मिक मार्ग में ऐसे संस्कारों की अनुमति नहीं है।

धार्मिक विश्वासों से समझौता न कर पाने पर महिला ने पारिवारिक न्यायालय नैनीताल में तलाक की अर्जी दी, लेकिन वहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई। इस आदेश को उसके द्वारा उच्च न्यायालय की खंडपीठ में चुनौती दी गई। जिस पर कोर्ट ने आपसी समझौता करने के लिए उच्च न्यायालय में स्थित समझौता केंद्र को भेज दिया है। जबकि मुख्य याचिका कोर्ट में विचाराधीन है।