उत्तराखंड : राजभवन ने लौटा दिया राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण का बिल, सात साल से था लंबित

सरकारी नौकरियों में राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के विधेयक को राजभवन ने सात साल बाद लौटा दिया है। राज्यपाल के सचिव डॉ.रंजीत सिन्हा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाया गया है। प्रदेश सरकार ने राजभवन से विधेयक लौटाने के संबंध में नए सिरे पत्राचार कर अनुरोध किया था। अब सरकार इसकी खामियों को दूर कर नए सिरे से बिल ला सकती है। बता दें कि 2015 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने विधान सभा से पास कराकर राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का बिल मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। सात साल बाद इसे लौटाया गया है।

यह है मामला
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी की सरकार में राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश हुआ था। वर्ष 2004 में हुए इस शासनादेश के बाद कुछ आंदोलनकारियों को इसका लाभ मिला, जो सरकारी नौकरी पा चुके हैं। कुछ का चयन हुआ, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली। इस बीच हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद इस शासनादेश को रद्द कर दिया गया।
शहीद परिवारों के आश्रित और गोलीकांड के घायल लाभ से वंचित
राज्य आंदोलन के दौरान 47 लोग शहीद हुए। इसमें कुछ अज्ञात शहीद भी शामिल हैं। जबकि 60 से अधिक लोग विभिन्न गोलीकांड में घायल हुए। बिल को मंजूरी न मिलने से शहीद आश्रितों एवं घायलों को नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण नहीं मिल पा रहा है।
हमने महामहिम से अनुरोध किया था कि वह राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण वाले बिल पर विचार करें या इस पुनर्विचार के लिए वापस लौटा दें। बिल वापस आ गया है। अब इसे नए सिरे से तैयार कर राजभवन भेजा जाएगा। सरकार राज्य आंदोलनकारियों के साथ खड़ी है। पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
राज्य आंदोलनकारियों से संबंधित बिल के पिछले सात साल से राजभवन में लंबित होने पर हाल ही में मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें स्थिति से अवगत कराया गया था। राजभवन ने बिल लौटा दिया है। सरकार इसकी खामियों को दूर कर अब नया बिल लाएगी। रविंद्र जुगरान, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा
