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उत्तराखंड : छात्र भी सीख गए भ्रष्टाचार का ककहरा, टैबलेट योजना की रकम हड़पने को हो रही फर्जीवाड़े की कोशिश

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राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में निशुल्क टैबलेट योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया है। फर्जीवाड़ा किसी सरकारी विभाग ने नहीं बल्कि छात्रों ने किया है। कई छात्रों ने टैबलेट के फर्जी बिल कॉलेज में जमा करा दिए हैं। अभी तक ऐसे 40 बिल पकड़ में आ चुके हैं। योजना के तहत छात्रों को टैबलेट के लिए 12 हजार रुपये मिलने हैं। बताया जा रहा है कि कई दुकानदार एक हजार रुपये लेकर फर्जी बिल बना रहे हैं। ये बिल किसी ऐप के जरिये बनाए जा रहे हैं। यही नहीं कई छात्रों ने तो 10वीं और 12वीं के छात्रों को मिले टैबलेट और उनके आईएमईआई नंबर से बिल बनाकर जमा करा दिए हैं। कॉलेज प्रबंधन पिछले कई दिनों से फर्जी बिलों की जांच में जुटा है। जीएसटी बिलों और आईएमईआई नंबरों की सत्यता जांचने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
प्राचार्य डॉ. पुष्पा नेगी का कहना है कि सरकार ने स्कूल व कॉलेजों के छात्रों को निशुल्क टैबलेट देने की योजना शुरू की थी। छात्रों के खाते में 12 हजार रुपये डाले जाने हैं। छात्रों को टैबलेट खरीदने के बाद उसका बिल अपने स्कूल या कॉलेज में जमा कराना है। कॉलेज में 2500 छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ मिलना है। अभी तक 40 बिल मिले हैं जो मानकों के अनुरूप नहीं हैं। किसी के पास जीएसटी बिल नहीं है तो किसी के बिल पर टैबलेट का आईएमईआई नंबर नहीं है। छात्रों को मानकों के तहत बिल उपलब्ध कराने को कहा गया है। टैबलेट योजना के नोडल अधिकारी अखिलेश्वर द्विवेदी का कहना है कि फर्जी बिलों को जांचने का हमारे पास कोई साधन नहीं है। सभी बिल जमा होने के बाद ही जीएसटी जांच के लिए भेजे जाएंगे। गड़बड़ी मिलने पर संबंधित छात्र और बिल जारी करने वाले दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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