उत्तराखंड : इस सरकारी आदेश से प्रदेश में मचा घमासान, कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप, जानें क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड में एक सरकारी आदेश से घमासान मचा हुआ है। आदेश मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी बताया जा रहा है। ये आदेश अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अल्मोडा के जिला सम्मेलन में छात्र / छात्राओं को प्रतिभाग के सम्बन्ध में जारी किया गया था। एबीवीपी के कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को भेजने के इस आदेश को लेकर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस ने मामले में गंभीर आरोप लगाए है। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने आरोप लगाया है कि भाजपा भीड़ बढ़ाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रही है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षाधिकारी सत्य नारायण का 13 फरवरी को लिखा पत्र वॉयरल हो रहा है। यह पत्र अल्मोड़ा के सात इंटर कालेज के प्रधानाचार्य को भेजा गया था। पत्र में साफ लिखा है कि एबीवीपी के 16 फरवरी को होने वाले कार्यक्रम में कक्षा 9 व 11 के स्टूडेंट्स को दो शिक्षकों के साथ भेजें। जिस पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि आज लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करने पर उतारू हो गई है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का स्तर दिन पर दिन गिरता चला जा रहा है अपने कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए और भीड़ बढ़ाने के लिए अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का इस्तेमाल कर रही है। उत्तराखंड में अल्मोड़ा जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी सरकारी पत्र जारी करते हुए सरकारी विद्यालयों के प्रधानाचार्य को आदेश देते हुए देखे जा रहे हैं। दसोनी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा के इस कृत्य की भर्त्सना करते हुए कहा की आज पूरा सरकारी अमला किस तरह से भाजपा के हाथों की कठपुतली बन चुका है।

विधायक सुमित ह्दयेश ने भी आदेश की कापी ट्वीट कर कहा है कि सरकारी विद्यालयों का और सरकारी मशीनरी का व्यक्तिगत पार्टी के अनुषांगिक संगठनों की तरह इस्तमाल किया जाना बहुत ही चिंताजन विषय हैं। इसका सख़्त से सख़्त विरोध होना चाहिए और तुरंत यह आदेश वापस होना चाहिए।
वहीं बताया जा रहा है कि अल्मोड़ा की नव नियुक्त मुख्य शिक्षाधिकारी हेमलता भट्ट ने 17 फरवरी को किये आदेश में 13 फरवरी के आदेश को निरस्त कर दिया था। जबकि कार्यक्रम की डेट 16 फरवरी थी। भट्ट ने ऐसे कार्यक्रमों में छात्र छात्राओं को बुलाने पर भी रोक लगा दी। साथ ही डीएम को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया और कहा कि यह आदेश उनके कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व जारी किया गया था।
