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उत्तराखंड में हफ्तेभर और झेलना होगा बिजली संकट, किल्लत दूर करने के लिए भेजी 100 मेगावाट की डिमांड

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प्रदेशवासियों को भीषण गर्मी के बीच कम से कम हफ्ते भर और बिजली संकट झेलना पड़ेगा। रविवार को हरिद्वार के सिडकुल में लगभग 4 घंटे, ग्रामीण क्षेत्रों में 6-7 घंटे, ऊधम सिंह नगर में हर रोज तीन से पांच घंटे बिजली कटौती हो रही है। औद्योगिक उत्पादन पर भारी असर पड़ा है। खुद यूपीसीएल ने भी स्वीकार किया है कि वह एक सप्ताह में कटौती को नियंत्रण में लाएगा। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया लेकिन यह प्रदेश की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है। प्रदेश को फिलवक्त 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है।

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प्रदेश में पैदा होने वाली ज्यादातर बिजली बाहर चली जाती है
प्रदेश में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है। विभिन्न परियोजनाओं से यहां 5211 मेगावाट बिजली पैदा होती है लेकिन राज्य कोटे के तहत उत्तराखंड को 1320 मेगावाट बिजली ही मिलती है।

केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देशभर में है बिजली की समस्या
प्रदेश में लगातार हो रही बिजली कटौती पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने भी कोशिशें तेज कर दी हैं। यूपीसीएल ने ऊर्जा मंत्रालय से बातचीत कर देर रात बोंगाईगांव पावर प्लांट, असम से 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने दावा किया कि सप्ताहभर में बिजली कटौती को और नियंत्रित कर दिया जाएगा।
रविवार को ऊर्जा निगम मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने कहा कि बिजली किल्लत देशव्यापी है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गैस आधारित पावर प्लांट बंद हैं। कोयला आधारित प्लांट भी मुश्किल हालात में हैं। नेशनल एनर्जी एक्सचेंज में भी बिजली की उपलब्धता कम और दर महंगी है। उत्तराखंड में हालात काबू में करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शुक्रवार की देर रात केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से बातचीत करके गैर आवंटित कोटे के तहत 100 मेगावाट बिजली की मांग की गई है। इसमें से असम से 36 मेगावाट बिजली उपलब्ध हुई। यूपीसीएल अन्य विकल्पों से बिजली खरीदने की कोशिशों में जुटा है। उन्होंने दावा किया कि रविवार को कटौती नियंत्रित हुई है।
गर्मी, उद्योगों की खपत की वजह से बिजली की डिमांड भी 45 मिलियन यूनिट का आंकड़ा छू रही है। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में चार से छह घंटे, यूपी में रोजाना छह घंटे, आंध्र प्रदेश में दस घंटे, झारखंड में शहरी क्षेत्रों में चार और ग्रामीण क्षेत्रों में सात घंटे, पंजाब में उद्योगों में दो से चार घंटे, शहरी क्षेत्रों में चार और ग्रामीण क्षेत्रों में पांच घंटे, महाराष्ट्र के गांवों में आठ घंटे, तमिलनाडु में चार घंटे की कटौती हो रही है।

उद्योगों में बिजली की खपत 20 फीसदी बढ़ी
यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि उद्योगों में बिजली की खपत अचानक बढ़ गई है। सामान्य से करीब 20 प्रतिशत अधिक बिजली खपत हो रही है। वहीं, अप्रैल माह में तापमान बढ़ोतरी की वजह से भी खपत में पांच से दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल इन दिनों बाजार में बिजली करीब 3.75 रुपये प्रति यूनिट थी जो कि आज 11 से 12 रुपये तक खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2468 मेगावाट की सालाना डिमांड है, जिसके सापेक्ष पैदा होने वाली 5211 मेगावाट बिजली में से राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली मिलती है।

भार 443 प्रतिशत, उत्पादन 35 प्रतिशत बढ़ा
यूपीसीएल के मुताबिक, वर्ष 2001 में 8.3 लाख बिजली उपभोक्ता थे, जिनकी संख्या इस साल मार्च में 27.28 लाख पर पहुंच गई। उपभोक्ताओं की संख्या में 229 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। प्रदेश में 2001 में बिजली का भार 1466 मेगावाट था जो कि मार्च तक बढ़कर 7967 यानी 443 प्रतिशत बढ़ोतरी पर आ गया। इसके सापेक्ष, यूजेवीएनएल 2001 में 998 मेगावाट बिजली देता था जो कि अब 1356 मेगावाट तक आ गया है। यानी बिजली का उत्पादन केवल 35 फीसदी ही बढ़ा है।

काशीपुर में 12 से 16 घंटे की कटौती
काशीपुर। भीषण गर्मी में बिजली कटौती से जहां आम जन परेशान हैं, वहीं उद्योगों में उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। काशीपुर में रोजाना 12 से 16 घंटे की कटौती की जा रही है। जिलेभर में डेढ़ लाख से अधिक घरेलू बिजली के कनेक्शन हैं। काशीपुर औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यहां इंडस्ट्री में भी बहुत अधिक मात्रा में बिजली की खपत होती है। केवीएस के सीएमडी देवेंद्र जिंदल ने बताया कि शुक्रवार दोहपर तीन बजे पावर कट हुआ था। शनिवार सुबह नौ बजे विद्युत आपूर्ति सुचारु हो सकी। विद्युत कटौती का सिलसिला एक पखवाड़े से लगतार चल रहा है। डीजल के दाम बढ़ने के कारण जनरेटर चला पाना भी संभव नहीं है। सरिया इंडस्ट्री विभाग को सबसे ज्यादा राजस्व देती है। फूड इंडस्ट्री में भी कटौती से मशीनें खराब होने की खतरा बना रहता है। केजीसीसीआई पेपर यूनिट चेप्टर के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने बताया कि बिना सूचना घंटों कटौती करने से पेपर उद्योग में 20 फीसद तक उत्पादन गिर गया है। कुछ अन्य उद्योगों में तो बिजली के कारण 30 फीसद तक उत्पादन प्रभावित हुआ है। व्यापार मंडल के शाखा अध्यक्ष प्रभात साहनी ने बताया कि विद्युत कटौती से मंझले और छोटे दुकानदारों का धंधा चौपट हो गया है। बिजली न आने से पानी की सप्लाई भी प्रभावित हुई है, जबकि सिंचाई को लेकर किसान भी परेशान हैं।

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नवीन सिंह देउपा

नवीन सिंह देउपा सम्पादक चम्पावत खबर प्रधान कार्यालय :- देउपा स्टेट, चम्पावत, उत्तराखंड