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उत्तराखंड का 11,321 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश, कैग रिपोर्ट भी सदन के पटल पर रखी गई

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उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र चल रहा है। विपक्ष ने सदन के बाहर और अंदर अपने तेवर दिखाए हैं। इसके साथ ही विपक्ष ने सत्र के दिन बढ़ाने की मांग की है। इसी बीच आज सदन में 11,321 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट भी पेश किया गया। इस दौरान सदन में कई विधेयक भी रखे गए।

दरअसल, आज मॉनसून सत्र के दौरान वार्षिक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2014-15 से वर्ष 2021-22 तक को सदन के पटल पर रखा गया। इसके अलावा उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण का वार्षिक प्रतिवेदन 2019-20 से 2020-21 को सदन के पटल पर रखा गया। वहीं, उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम की वित्तीय वर्ष 2019 से 2021 की बैलेंस शीट भी सदन में रखा गया।

इसके अलावा उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक लेखा विवरण भी सदन के पटल पर रखा गया। साथ ही 2022 की कैग रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई। उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग की एटीआर को सदन में रखा गया है। वहीं, यूपीसीएल की 2020 से 2022 का वार्षिक लेखा विवरण सदन के समक्ष रखा गया,

सत्र में उत्तराखंड (संयुक्त प्रांतीय रक्षक दल अधिनियम 1948 ) संशोधन अध्यादेश 2023, उत्तराखंड निवेश और आधारित संरचना अध्यादेश 2023 और उत्तराखंड माल एवं सेवा कर संशोधन अध्यादेश 2023 को सदन के पटल पर रखा गया। वहीं, सदन में विपक्ष के नेताओं ने कई सवाल उठाए। जिस पर सदन में जवाब दिया।

बता दें कि विधानसभा सत्र में बजट के 3 प्रकार के पेश किए जाते हैं, जिसमें एक मुख्य यानी आम बजट होता है। यह बजट पूरे साल भर के लिए लाया जाता है। जबकि, दूसरा अनुपूरक बजट होता है। इसे प्रदेश में उत्पन्न होने वाली तमाम तरह की परिस्थितियों और कुछ नई योजनाओं के चलते विभागों को अलग से बजट की जरूरत होती है। ऐसे में सप्लीमेंट्री यानी अनुपूरक बजट लाया जाता है।

यह बजट अगले वित्तीय वर्ष यानी मार्च फाइनल तक के लिए विभागों को दिया जाता है। इसके अलावा तीसरा बजट लेखानुदान बजट होता है, जिसे वोट ऑन अकाउंट बजट भी कहा जाता है। इस बजट को खासकर उन परिस्थितियों में लाया जाता है, जब या तो चुनाव नजदीक होते हैं या सरकार अनिश्चित रहती है या फिर तत्काल ही सरकार बनी होती है। सरकार के पास बजट को तैयार करने या तैयारी का उतना समय नहीं मिल पाता है तो उसमें लेखा अनुदान बजट लाया जाता है।

काम साबित कर दें तो मैं इस्तीफा दे दूंगा : उमेश कुमार
नियम 58 के तहत विधायक उमेश कुमार ने कहा कि हरिद्वार के खादर क्षेत्र में आपदा से भारी नुकसान हुआ। चेक वितरण में गड़बड़ी की जा रही है। 15 बीघा वालों को 2000 और दो बीघा वालों को 15 हजार मुआवजा दे रहे हैं। 1100 रुपये का मुआवजा प्रति बीघा दिया जा रहा है। जबकि एक बीघा में 1200 का डीजल लग जाता है। मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जब मैं विधायक के क्षेत्र में गया था तो पूरा जलमग्न था। दुकानों में समान खराब हो चुका था। अब वहां काम हुए हैं। इस पर उमेश कुमार ने कहा कि अगर 22 करोड़ के काम को साबित कर दें तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। उमेश ने आरोप लगाया कि सिंचाई विभाग में भारी भ्रष्टाचार है। मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऐसा तो वे ने कहा वह निरीक्षण के लिए उनके साथ जाने को तैयार हैं।

एक प्रदेश में एक कानून लागू हो : हरीश धामी
हरीश धामी ने कहा, 60 परिवार आज भी स्टेडियम में रह रहे हैं, लेकिन सरकार उनका पुनर्वास नहीं कर रही। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा पूरा धारचूला खतरे की जद में है। सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। विस्थापन की कार्रवाई की जाए। हरीश धामी ने कहा कि धारचूला में अलग नियम बनाये जा रहे हैं। एक प्रदेश में एक कानून हो। मंत्री अग्रवाल ने कहा कि प्रभावितों के पुनर्वास के लिए जमीन का चयन करने की प्रक्रिया जारी है। धारचूला के प्रभावित क्षेत्र की डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है।

सदन को गुमराह कर रहे मंत्री : हरीश धामी
धारचूला विधायक हरीश धामी ने विरोध किया कि उनकी विधानसभा को बेगाना बनाया जा रहा है। सीमांत के लोगों को मजबूर किया जा रहा है। हरीश धामी ने आरोप लगाया कि सरकार धारचूला के साथ गलत व्यवहार कर रही है। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि वह राज्य की बात कर रहे हैं। आपदा पूरे प्रदेश में आई है। हरीश धामी ने आरोप लगाया कि मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं।

आपदा से अब तक 1344 करोड़ का नुकसान : मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल
नियम 58 के तहत मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्ष को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस बार बारिश बहुत ज्यादा हुई है। 2023-24 में वर्तमान तक 45650 प्रभावित परिवार को 30.40 करोड़ की धनराशि दी गई है। हरिद्वार का सर्वे जारी। राज्य आपदा मोचन निधि से 301 करोड़ अग्रिम रूप से आवंटित किए। प्रदेश में बारिश के कारण 111 जनहानि हुई, 172 लोग घायल हुए। प्रदेश में बारिश से 1344 करोड़ का नुकसान हुआ है। आपदा के लिए दो हेलीकॉप्टर लगाए गए थे। जोशीमठ में 150 परिवार को 33.50 करोड़ की सहायता राशि दी गई। 296 प्रभावित परिवार को राहत कैंप में रखा गया। 324 परिवार को 1 लाख प्रति परिवार की दर से अतिरिक्त राहत। सामान स्थानांतरित करने को 50 हजार प्रति परिवार दिया गया है।

पूरे प्रदेश को आपदा क्षेत्र घोषित करे सरकार : रवि बहादुर
ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने कहा कि आपदा ने सरकार की कलई खोल दी है। 20 दिन तक ट्रांसफार्मर नहीं रखे गए। आपदा में किसी प्रकार की मदद नहीं मिली। खेत बह गए। किसानों की मदद को कोई तैयार नहीं। आपदा में मुआवजे की राशि बढ़ाई जाए। यूपी की तर्ज पर किसानों की एक साल की बिजली माफ हो और उनका ऋण भी माफ हो। पूरे हरिद्वार जिले के साथ ही प्रदेश को आपदा क्षेत्र घोषित किया जाए।

आपदा से पूर्व नहीं ली जाती बैठक : सुमित हृदयेश
विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि हर जिले में प्रभारी मंत्री बनाये गए हैं, लेकिन कोई भी बैठक आपदा से पूर्व नहीं ली जाती है। इस बार बरसात में 60 फीसदी लोगों के घरों में पानी भरा। पूरे तराई क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। रजिस्ट्री की जमीन के बह जाने के बाद महज 1.25 लाख मुआवजा दिया जाता है। वहीं, विधायक अनुपमा रावत ने कहा कि तटबंधों के लिए आपदा का इंतजार किया जाता है। हरिद्वार के कांगड़ी गांव बहने की कगार पर है। तटबंध बनाने के लिए कट्टे मिट्टी से भरकर रखते हैं। किसानों को मात्र 1175 प्रति बीघा मुआवजा दिया जा रहा है। जबकि कम से कम 15 हजार का खर्च आता है।

आपदा से पहले बैठक करें अधिकारी : ममता राकेश
भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी/डीएम बरसात से पहले जिले के विधायकों के साथ बैठक करें। साथ ही उनसे प्रस्ताव लें, जिससे कि आपदा में बचाव हो सके, लेकिन अधिकारी सुनते नहीं हैं। आपदा में खंभे टूटे, लेकिन आज तक ठीक नहीं हुए। 12 विद्यालय ऐसे हैं, जहां बारिश में छुट्टी करनी पड़ती है। उन्होंने मानकों में परिवर्तन की मांग की।

दैवीय आपदा के नियमों में बदलाव की जरूरत: विक्रम नेगी
प्रतापनगर विधायक विक्रम नेगी ने कहा कि उत्तराखंड जंगल, चट्टानों, घाटी-चोटी, ग्लेशियर का प्रदेश है। यहां हर साल बारिश की वजह से बड़े स्तर पर भूमि का कटाव होता है। इसलिए दैवीय आपदा के नियमों में बदलाव की जरूरत है।

कार्यवाही से हटाया गया 15 कांग्रेस विधायकों के निलंबन का प्रकरण
15 कांग्रेस विधायकों के निलंबन का प्रकरण कार्यवाही से हटाया गया। गैरसैंण विधानसभा सत्र में अनुशासनहीनता के मामले में स्पीकर ने एक दिन के लिए 15 कांग्रेस विधायकों को निलंबित किया था। कांग्रेस सविधायक प्रीतम सिंह ने सदन में व्यवस्था का प्रश्न उठाया। स्पीकर ने सदन को निलंबन प्रकरण कार्यवाही से हटाने की जानकारी दी।

कांग्रेस विधायकों का निलंबन वापस लिया गया
सदन में 14 मार्च को गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायकों को निलंबित किए जाने का मुद्दा उठाया गया। कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा नियम के तहत निलंबन नहीं हुआ। सरकार की तरफ से किसी के द्वारा निलंबन का प्रस्ताव नहीं रखा गया, इसलिए निलंबन गलत था। लोकसभा और राज्यसभा में भी सांसदों का निलंबन सरकर की तरफ से प्रस्ताव जाने पर ही होता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायकों के निलंबन को वापस लिया।

विशेषाधिकार हनन का प्रश्न उठा
सदन में विधायक तिलक राज बेहड़ ने विशेषाधिकार हनन का प्रश्न उठाया। वहीं पीठ ने हर हाल में विधायकों के प्रोटोकाल का ध्यान रखने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव को सभी जिलाधिकारियों और प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश जारी करने के लिए कहा गया। कहा विधायकों का फोन उठाने पर अधिकारियों को माननीय शब्द का उद्बोधन करना होगा।

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