उत्तराखण्ड

प्रधानमंत्री मोदी की पहल से पुराने वैभव में लौटेगी चौरासी कुटिया, जानें क्यों है ये जगह खास

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तीर्थनगरी ऋषिकेश में गंगा तट पर स्थित महर्षि महेश योगी की विरासत चौरासी कुटिया अपने पुराने वैभव में लौटेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इसके लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। राज्य का पर्यटन, वन महकमा और केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय इस पर काम करेंगे। वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर काम करने वाली एक कंपनी को बतौर कंसल्टेंट नियुक्त करने की तैयारी है।

महर्षि महेश योगी ने ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में 60 के दशक में जिस शंकराचार्य नगर (चौरासी कुटिया) की स्थापना की थी, वह आज बदहाल स्थिति में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आश्रम के बारे में जानने के बाद उत्तराखंड सरकार को इसके पुनरोद्धार की योजना पर काम करने का आग्रह किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शासन के सूत्राें के मुताबिक इस संबंध में कई बार पीएमओ स्तर से पत्राचार हो चुका है। पिछले दिनों वन विभाग ने पीएमओ को पत्र भेजकर जानना चाहा था कि प्रधानमंत्री चौरासी कुटिया का किस रूप में पुनरोद्धार चाहते हैं, इस पर पीएमओ की ओर से भी एक खाका भेजा गया है।

बताया जा रहा है कि चौरासी कुटिया को ध्यान-योग केंद्र के साथ ही वन और वन्य जीवन से जोड़ते हुए कायाकल्प किया जाएगा। केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय भी इस परियोजना में शामिल रहेगा। आयुष से जुड़ी गतिविधियों को इसमें शामिल किया जाएगा। योजना का खाका तैयार होने के बाद प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा।

बीटल्स ग्रुप ने लगाए चार चांद
प्रसिद्ध अमेरिकन म्यूजिकल ग्रुप बीटल्स ने चौरासी कुटिया की ख्याति में चार चांद लगाए हैं। इस ग्रुप के चार सदस्य जॉन लिनोन, पॉल मेकार्टनी, जार्ज हेरिशन व रिगो स्टार वर्ष 1967-68 में पूरे एक साल इस केंद्र में रहे और भावातीत ध्यान की दीक्षा ली। बीटल्स ग्रुप के इन सितारों ने यहां रहते हुए महर्षि महेश योगी के सानिध्य में 48 गीतों की रचना की। इनमें से 18 गाने उनकी प्रसिद्ध एलबम ‘द व्हाइट’ में शामिल किए गए। इन गानों ने पूरी दुनिया में धूम मचाई। तब से इस स्थान को पूरी दुनिया में बीटल्स की तपस्थली के रूप में भी जाना जाता है।

चौरासी कुटिया के विकास की योजना पर काम किया जा रहा है। परिक्षेत्र में कोई भी नया निर्माण नहीं किया जाएगा। जो कुछ पहले से वहां मौजूद है, उसे पुराने स्वरूप में लाया जाएगा। यहां वन, वन्यजीव संसार के साथ ध्यान-योग, मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य, पंचकर्म इत्यादि गतिविधियां शुरू की जाएंगी। – अनूप मलिक, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ)

योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। कंसल्टेंट का काम किसी नामी कंपनी को देने पर विचार किया जा रहा है। जो परियोजना की डीपीआर बनाने में मदद करने के साथ पुनरोद्धार का खाका तैयार करेगी। पर्यटन विभाग वन विभाग के साथ सहयोगी के रूप में कार्य करेगा। – सचिन कुर्वे, सचिव पर्यटन