जज्बे को सलाम # मासूम बच्चों से दूर रह कोरोना पीड़ितों की सेवा में जुटी हैं महिला अधिकारी
अमित जोशी बिट्टू, टनकपुर। हर मां को अपना बच्चा दुनिया का सबसे प्यारा बच्चा लगता है। इसीलिए वह हमेशा हर प्यार करने वालों की तरह अपने सबसे प्यारे शख्स के आसपास रहना चाहती है। जिससे अपने बच्चे को लाड़ कर सके और दुलार कर सके, लेकिन यहां कई ऐसी मां हैं जो अपने प्यारे नोनिहालों से दूर रहकर अपनी ममता की छांव कोरोना की परेशानियों से जूझ रहे लोगों को दे रही हैं। ऐसी ही एक पांच वर्षीय बच्चे रागिब की मां हैं सँयुक्त चिकित्सालय में तैनात डॉ. ताहिर अंसारी, जो वैसे तो ओपीडी, प्रसव आदि कार्यों में काफी व्यस्त रहती हैं, लेकिन क्षेत्र में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते अतिरिक्त कार्य करने के चलते वे अपने लाडले को बिल्कुल भी समय नहीं दे पा रही हैं। अपने कर्तव्यों के आगे मां की ममता को वे आड़े नहीं आने देतीं। पेशे से चिकित्सक उनके पति भी बाहर कोरोना मरीजों के उपचार में लगे रहते हैं। डॉ. ताहिर को रमजान माह के चलते खान पान में भी सावधानी बरतनी पड़ रही है। बावजूद इसके वह अपनी जिम्मेदारी मुस्तैदी से निभा रही हैं। इसी तरह कई अन्य महिला अधिकारी हैं जो अपने अपने परिवार जनों से दूर अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना संक्रमित लोगों के भोजन आदि व्यवस्था या उनको होम आइसोलेशन व माइक्रो कन्टेंन्टमेंन्ट ज़ोन में रहने के दौरान उनकी निगरानी ,सेवा आदि की ड्यूटी में तैनात हैं।
ऐसा ही एक नाम है रिनी चौहान। रिनी चौहान टनकपुर कोतवाली में तैनात 2015 बैच की महिला उप निरीक्षक हैं। वह अपने एक वर्ष के मासूम बच्चे से दूर रहकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। यही नही रूटीन वर्क के साथ ही कोविड संक्रमण से प्रभावित लोगों को भोजन व जरूरत की चीजों पहुंचा रही हैं। 12 से 15 घंटे ड्यूटी कर रही एसआई चौहान अपने एक वर्ष के मासूम पुत्र को इस समय दादी की निगरानी में छोड़ आई हैं। उनका कहना है कि मां होने के नाते बेटे की सुरक्षा की चिंता भी बनी रहती है, लेकिन ड्यूटी और मां की जिम्मेदारी का तालमेल बनाकर वे ड्यूटी कर रही हैं। उनके पति भी उप निरीक्षक है व इस समय कोरोना ड्यूटी में व्यस्त हैं। एसआई चौहान का कहना है अपने बच्चों व घर परिवार के साथ रहना कितने सौभाग्य की बात होती है, लेकिन बच्चों व परिवार से किसी मजबूरी में नही बल्कि अपने कर्तव्यों के पालन व जरूरत के समय लोगों की सेवा या उनके काम आ सकने के नैतिक बोध की वजह से दूरी हो तो आत्म संतुष्टि का एहसास होता है। उधर अपने छोटे छोटे प्यारे प्यारे लाडलों से दूर और अपने कर्तव्य पालन करने की वजह से बच्चों को मातृत्व सुख न दे पा रही, ऐसी महिला अधिकारी माताओं के जज्बे की लोग खूब सराहना कर रहे हैं। उनका कहना है कि जहां इस समय कोरोना संक्रमण की वजह से सुरक्षा आदि कारणों से लोग सोशल डिस्टेंसिग के साथ अपने घरों में कैद हैं, ऐसे में ये लोग अपनी जान जोखिम में डाल कोरोना प्रभावितों की सेवा व देखभाल कर रही हैं। अगर वे ऐसे ही कोरोना संक्रमित लोगो की देखभाल करेगी तो जल्द
कोरोना का प्रकोप दूर हो जाएगा।