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चम्पावत : कुमाउंनी भाषा को उत्तराखंड से बाहर देश और दुनिया में विस्तार देने का प्रयास प्रशसंनीय है : कोश्यारी

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चम्पावत। पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि भाषा सम्मेलन से कुमाउंनी भाषा को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। 16वें राष्ट्रीय भाषा सम्मेलन के समापन दिवस पर 12 नवंबर को बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे पूर्व राज्यपाल कोश्यारी ने आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि कुमाउंनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए अपनी ओर से प्रयास करेंगे। आयोजकों ने कुमाउंनी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी मांग उठाई।

चम्पावत में मंगलवार को तीन दिवसीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन का समापन हुआ। मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि आधुनिकता के दौर में बोली भाषाएं पीछे छूटती जा रही हैं। बोली भाषा से भावी पीढ़ी को समृद्ध और गौरवशाली परंपरा से परिचित कराने की जरूरत है। कुमाउंनी भाषा में संबोधन करते हुए उन्होंने स्थानीय भाषाओं को आम बोल चाल में शामिल करने की अपील की। कोश्यारी ने कहा कि यह पहल नई पीढ़ी को कुमाउंनी सीखने-बोलने के लिए प्रेरित करेगी। कुमाउंनी भाषा को उत्तराखंड से बाहर देश और दुनिया में विस्तार देने का प्रयास प्रशसंनीय है। पूर्व राज्यपाल कोश्यारी ने कुमाउंनी भाषा की जड़ों को गहरी करने के लिए संस्थागत स्वरूप देते हुए ट्रस्ट बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने अपनी ओर से 11 हजार रुपये का सहयोग करने का ऐलान किया। सम्मेलन में कुमाउंनी की 15 पुस्तकों का विमोचन हुआ और 50 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।

कुमाउंनी पत्रिका पहरू के संपादक और सम्मेलन के सूत्रधर डॉ. हयात सिंह रावत ने कुमाऊंनी भाषा की समृद्धि के लिए किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कुमाउंनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने और कुमाउंनी भाषा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की पुरजोर वकालत की। साहित्यिक चेतना मंच के अध्यक्ष और कार्यक्रम के संयोजक डॉ. भुवन चंद्र जोशी व सह संयोजक डॉ. कमलेश शक्टा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए भविष्य में कराए जाने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों की जानकारी दी। डीएम नवनीत पांडे ने भी कुमाउंनी में भाषण दिया। उन्होंने आयोजकों के प्रयास की सराहना की। डीएम सहित कई लोगों ने कुमाउंनी पुस्तकों में खासी दिलचस्पी दिखाई।

साहित्यिक चेतना मंच से डॉ. तिलक राज जोशी, डॉ. कीर्ति बल्लभ सक्टा, जन कवि प्रकाश जोशी शूल सहित कई साहित्यकारों ने भगत सिंह कोश्यारी को अपनी कृतियां भेंट की गई। चम्पावत की ब्लॉक प्रमुख रेखा देवी, बाराकोट की प्रमुख विनीता फर्त्याल, विधायक प्रतिनिधि प्रकाश चंद तिवारी, डीएम नवनीत पांडे, पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता अमरनाथ वर्मा, कार्यक्रम संरक्षक सतीश चंद्र पांडेय, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुभाष बगौली, पूर्व चेयरमैन विजय वर्मा, नामी साहित्यकार डॉ. तिलक राज जोशी, संस्कृत के विद्वान कीर्ति बल्लभ सक्टा आदि ने दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का आगाज किया।


शिक्षक नवीन पंत और सतीश चंद्र पांडेय के संचालन में हुए कार्यक्रम में सह संयोजक डॉ. कमलेश शक्टा, प्रकाश पांडेय, डॉ. आनंदी जोशी, डॉ. दिनेश जोशी, हेमलता जोशी, रामप्रसाद, प्रकाश पुनेठा, सोनिया आर्या, डॉ. सुमन पांडेय, चिंतामणि जोशी, दिनेश भट्ट, एडवोकेट बबीता जोशी, विष्णु दत्त भट्ट सरल, गोविंद बोहरा, डॉ. दीप चौधरी, खुशाल सिंह खनी, मोहन जोशी, डॉ. हेम चंद्र दुबे, महेंद्र ठकुराठी, कृपाल सिंह शीला, ललित तुलेरा, भूपेंद्र देव ताऊ, हिमांशु जोशी, नीरज जोशी, एडवोकेट गौरव पांडेय, कमलेश राय, दिनेश पांडेय, गणेश पांडेय, योगेश जोशी, महेंद्र प्रताप जोशी, चम्पा जोशी, डॉ. मदन महर, शिक्षक सामश्रवा आर्या, ललित मोहन आदि मौजूद रहे।