महाविद्यालयों के 195 प्राध्यापकों को किया गया इधर-उधर, एक हफ्ते में नहीं ली तैनाती तो होगी कार्रवाई
देहरादून। उत्तराखंड में स्थानांतरण सत्र के कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं और ऐसे में अब उच्च शिक्षा विभाग ने भी महाविद्यालय के प्राध्यापकों के तबादलों का आदेश जारी किया है। खास बात यह है कि इन प्राध्यापकों के तबादले के सिंगल-सिंगल आदेश जारी हुए हैं। साथ ही तबादले के आदेश में एक हफ्ते का समय भी इन प्राध्यापकों को दे दिया गया है। ऐसा न करने पर आदेश में ही कार्रवाई की बात भी सूचित कर दी गई है।
उत्तराखंड में उच्च शिक्षा विभाग के तहत तमाम महाविद्यालय के प्राध्यापकों को बड़ी संख्या में इधर-उधर किया गया है। राज्य भर के महाविद्यालयो के प्राध्यापक इस तबादला सूची से प्रभावित हुए हैं। शासन में उच्च शिक्षा उप सचिव व्योमकेश दुबे ने इस संदर्भ में आदेश जारी किए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि शासन स्तर से हर प्राध्यापक के स्थानांतरण के लिए अलग आदेश जारी किया गया है। इस तरह करीब 195 प्राध्यापकों को स्थानांतरित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग में काफी समय से प्राध्यापकों के स्थानांतरण को लेकर चर्चाएं चल रही थी, इसके अलावा विभाग द्वारा भी इसके लिए काफी समय से होमवर्क किया जा रहा था।
निदेशालय स्तर से प्रदेश भर के तमाम महाविद्यालय में तैनात प्राध्यापकों की सूची भी तैयार करवाई गई थी। जिसके बाद शासन में इस पर अंतिम निर्णय लेते हुए आदेश जारी किया है। उत्तराखंड में 31 जुलाई तक स्थानांतरण सत्र चल रहा है और ऐसे में सभी विभागों को इस तय समय सीमा तक विभागों में सभी स्थानांतरण को पूरा करना है। स्थानांतरण सत्र के लिए काफी कम दिन रह गए हैं ऐसे में तमाम विभागों की तरह ही उच्च शिक्षा विभाग भी जरूरी तबादलों को समय से पूरा करने के लिए होमवर्क में जुटा हुआ था और इसके बाद प्राध्यापकों के स्थानांतरण के लिए अंतिम मुहर लगाई गई थी।
उच्च शिक्षा विभाग में किए गए सभी स्थानांतरण सुगम से दुर्गम, दुर्गम से सुगम की स्थिति को देखते हुए किए गए हैं। इसके अलावा अनुरोध के आधार पर पारस्परिक स्थानांतरण को भी इसमें शामिल किया गया है। खास बात यह है कि विभिन्न महाविद्यालय में खाली पदों को भरे जाने और आवश्यकता के अनुसार तबादले किए जाने पर प्राथमिकता दी गई है। स्थानांतरण आदेश में खास बात यह भी है कि सभी प्राध्यापकों को एक सप्ताह का समय दिया गया है और इसी एक सप्ताह में इन प्राध्यापकों को स्थानांतरण वाले महाविद्यालय में तैनाती लेनी होगी। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई प्राध्यापक स्थानांतरण होने के बावजूद एक हफ्ते में तैनाती नहीं लेता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।