19 वर्षीय बेटी की मौत के बाद दस करोड़ मुआवजे की मांग को लेकर हाइकोर्ट में दायर की याचिका
एक दंपति ने अपनी 19 वर्षीय बेटी की मौत के मामले में केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। दंपति का आरोप है कि कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड से उनकी बेटी की मृत्यु हुई है। इसके लिए वे 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। दंपति ने बेटी की मौत के लिए कोविशील्ड बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, केंद्र और राज्य सरकार व उन अस्पतालों को जिम्मेदार ठहराया है, जहां लड़की को इलाज के लिए ले जाया गया था। न्यायमूर्ति एन नागरेश ने याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि कोविशील्ड की पहली डोज लगने के बाद उनकी बेटी की तबियत बिगड़ने लगी, जिसके बाद वे उसको अस्पताल ले गए। यहां इलाज के बाद उसी दिन छुट्टी दे दी गई। लेकिन लड़की की तबियत और ज्यादा खराब होने लगी तो दूसरे अस्पताल ले जाया गया, जहां थोड़ी देर बाद, उसे इंटुबैट करके वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। वैक्सीन दिए जाने के ठीक दो हफ्ते बाद 12 अगस्त, 2021 को लड़की की मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता ने बताया कि पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट्स में कहा गया कि लड़की की मौत इंटर-क्रेनियल ब्लीडिंग के कारण हुई है। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने मुआवजे का दावा करते हुए मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई। याचिका में जिला चिकित्सा अधिकारी (स्वास्थ्य), पठानमथिट्टा की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि लड़की में न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कोई इतिहास नहीं रहा है और उसमें जो लक्षण दिखे वे वैक्सीन की पहली खुराक के बाद ही शुरू हुए थे।
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता की बेटी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, थ्रोम्बोसिस सिंड्रोम से पीड़ित हो सकती है। यह कोविड-19 टीकों के लिए एक दुर्लभ इम्युनोजेनिक प्रतिक्रिया माना जाता है। याचिकाकर्ता ने कोविशील्ड की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पर टीके से जुड़े जोखिमों की पूरी जानकारी लोगों को नहीं देने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को भी जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने टीके के प्रभावों का अध्ययन किए बिना इस संबंध में कोई चेतावनी या दिशा-निर्देश नहीं दिए और टीके सुरक्षित बताते हुए टीकाकरण अनिवार्य कर दिया। साथ ही याचिका में उन अस्पतालों का भी जिक्र किया गया है, जहां लड़की को इलाज के लिए ले जाया गया। आरोप है कि अस्पताल ने लड़की की बीमारी का ठीक तरह से पता नहीं लगाया।