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चम्पावत : चैनलिंक से बनेगा अटूट सुरक्षा घेरा, 25 क्लस्टरों में खेती होगी फुलप्रूफ

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चम्पावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पहाड़ में खेती को पुनर्जीवित करने, फसल सुरक्षा को प्राथमिकता देने तथा कृषि उन्मुख प्रयासों को व्यापक रूप देने के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए जिलाधिकारी मनीष कुमार के नेतृत्व में चम्पावत जनपद हेतु एक सुदृढ़ कृषि सुरक्षा मॉडल तैयार किया गया है।

लंबे समय से जंगली जानवरों द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान के कारण किसान असहाय महसूस कर रहे थे। इसी समस्या का स्थायी समाधान करने हेतु प्रशासन ने मनरेगा और जिला योजना के समन्वय से चैनलिंक फेंसिंग (धेरबाड़) कार्य को तीव्र गति से लागू करने का निर्णय लिया है, जो किसानों के लिए एक बड़े राहत पैकेज के रूप में सामने आ रहा है। यह योजना केवल बाड़ लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों के मन में खेती के प्रति विश्वास को पुनः मजबूत करना, सामूहिक खेती को सुरक्षा प्रदान करना और लंबे समय तक टिकाऊ कृषि संरचना विकसित करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

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किसानों की कठिनाइयों को समझने के लिए प्रशासन ने विस्तृत सर्वेक्षण कराया, जिसके आधार पर उन क्षेत्रों की पहचान की गई जहाँ सामूहिक खेती हो रही है और धेरबाड़ लगाने से बड़े क्षेत्रफल को सुरक्षित किया जा सकता है। विभिन्न पैरामीटरों के आधार पर जनपद के 16 सामान्य ग्रामों और 9 अनुसूचित बाहुल्य ग्रामों सहित कुल 25 क्लस्टरों का चयन किया गया है।

इन चयनित क्लस्टरों में मजबूत चैनलिंक फेंसिंग लगाई जाएगी, जिससे खेतों की सुरक्षा वैज्ञानिक पद्धति से सुनिश्चित होगी और जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान पर प्रभावी रोक लगेगी। संपूर्ण योजना पर कुल ₹242 लाख की धनराशि प्रस्तावित की गई है, जिसमें मनरेगा के अंतर्गत श्रम कार्य और जिला योजना से सामग्री कार्य किए जाएंगे।

क्लस्टरवार आवंटित धनराशि इस प्रकार है—विकासखंड बाराकोट में दियारतोली ₹10 लाख, च्यूरानी ₹10 लाख, तडीगांव ₹9 लाख, नौमाना ₹10 लाख। विकासखंड लोहाघाट में टुनकाण्डे ₹10 लाख, चौड़ीराय ₹9 लाख, मंगोली ₹9 लाख, ठांटा ₹10 लाख, कायल ₹10 लाख, डुंगरीफर्त्याल ₹10 लाख। विकासखंड पाटी में ढरौज ₹9 लाख, जौलाड़ी ₹6 लाख, सुनडुंगरा ₹10 लाख, कमलेख ₹10 लाख, चल्थिया ₹9 लाख, डुगराकोट ₹9 लाख। वहीं विकासखंड चम्पावत के नरसिंहडाड़ा, बस्तिया, सिमल्टा-कांडा, बचकोट, राकडीफुलारा, नीडतल्ली, ऐडीगुरौली और झालाकुडी प्रत्येक में ₹10 लाख तथा चौडाख्याली में ₹9 लाख की धनराशि निर्धारित की गई है।

इस प्रयास से चम्पावत जनपद में जंगली जानवरों से फसल नुकसान की समस्या को अब प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकेगा। खेती छोड़ने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी, युवाओं में कृषि के प्रति नई ऊर्जा और आकर्षण बढ़ेगा, सामूहिक खेती सुरक्षित आधार पर आगे बढ़ेगी, उत्पादन में वृद्धि होगी और कृषि लागत में कमी आएगी। इस योजना से न केवल खेत सुरक्षित होंगे बल्कि गांवों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी, जिससे जनपद चम्पावत में खेती को एक सुरक्षित, टिकाऊ और लाभकारी गतिविधि के रूप में पुनः स्थापित किया जा सकेगा।