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चम्पावत : सार्वजनिक स्थान, राजकीय संपत्ति पर धार्मिक स्थल का अवैध निर्माण पूर्णतः अस्वीकार्य

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डीएम ने लोक परिसरों में अतिक्रमणमुक्ति को लेकर नीति आधारित समीक्षा बैठक की

चम्पावत। जिलाधिकारी नवनीत पांडे की अध्यक्षता में ‘उत्तराखण्ड लोक मार्गों, लोक पार्कों तथा अन्य लोक स्थानों में अनाधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने, पुनर्स्थापित करने तथा नियमितीकरण नीति, 2016’ के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर जनपदीय समिति की बैठक हुई। जिसमें डीएम ने कहा कि नियमावली के अनुसार धार्मिक स्थलों को तीन श्रेणियों ‘क’, ‘ख’ एवं ‘ग’ में वर्गीकृत किया जाएगा।

बैठक में डीएम ने बताया कि ‘ख’ एवं ‘ग’ श्रेणी में आने वाले प्रकरणों को हटाने के बाद उनका पुनर्स्थापन नहीं किया जाएगा। ‘क’ श्रेणी में आने वाले मामलों की समिति द्वारा केस-टू-केस समीक्षा की जाएगी। जनभावनाओं का आंकलन करते हुए निर्णय लिया जाएगा कि संबंधित संरचना को नियमित किया जाए, अन्यत्र पुनर्स्थापित किया जाए या पूर्णतः हटाया जाए।

जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 29.09.2009 के अनुसार किसी भी सार्वजनिक स्थान अथवा राजकीय संपत्ति पर धार्मिक स्थल का अवैध निर्माण पूर्णतः अस्वीकार्य है। इस आदेश के उल्लंघन की स्थिति में न केवल अतिक्रमणकर्ता बल्कि संबंधित विभाग के उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने जनहित में अपील की है कि सभी नागरिक तथा संबंधित संगठन इस नीति का पालन करें एवं प्रशासन को सहयोग प्रदान करें।

बैठक में प्रभागीय वन अधिकारी नवीन चंद्र पंत, उप जिला अधिकारी टनकपुर आकाश जोशी (वीसी के माध्यम से), अलकेश नौडियाल, एसडीओ फॉरेस्ट नेहा चौधरी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत कमलेश सिंह बिष्ट, ईई लोनिवि एम सी पलड़िया सहित अन्य उपस्थित रहे।

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