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चम्पावत : चंद राजाओं की राजधानी रही चम्पावत में नंदाष्टमी मेले की शुरुआत कब और कैसे हुई, पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पांडेय की कलम से…

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चम्पावत। हिमालय क्षेत्र की अधिष्ठार्थी लोकप्रिय देवी मां नंदा कीआराधना को लेकर भाद्रपद की नंदाष्टमी के मौके पर मेले और डोला यात्राओं का आयोजन जन जन को भक्ति और आस्था से सराबोर कर देता है। चंद राजाओं की पुरानी राजधानी चम्पावत में 2007 से त्रिमूर्ति की पहल पर शुरु हुआ मां नंदा सुनंदा मेला धार्मिक आयोजन के तौर पर मील का पत्थर साबित हो रहा है।

वर्ष 1997 में बने जिला मुख्यालय चम्पावत के बालेश्वर शिव शक्ति महादेव मंदिर में इस पर्व की पहल को लेकर पूर्व प्रमुख स्व नारायण लाल साह,पूर्व नगर सभासद स्व प्रदीप साह “जग्गू” और वरिष्ठ पत्रकार दिनेश चंद्र पाण्डेय के बीच मंत्रणा हुई। उसके बाद नगर के गणमान्य नागरिकों की बैठक का आयोजन कर पूर्व प्रमुख बहादुर फर्त्याल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हुआ और धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ कलश और डोलायात्रा की नींव पडी। इस दौरान कदली वृक्ष आमंत्रण, आगमन और डोलायात्रा में देव डंगरिये स्व• लक्ष्मण चौधरी, स्व• किशोरी लाल साह, स्व• भैरव पटवा तथा हरीश पांडेय, देवी लाल वर्मा, विवेकानंद बिष्ट, हरीश वर्मा, विमल साह , प्रकाश पटवा, प्रेमा साह, मोहिनी साह, प्रेमा वर्मा, शांति पटवा, हरिप्रिया पटवा, मुन्नी पटवा का आशीर्वाद बना रहा।

शुरुआती सालों में वैदिक अनुष्ठान, तंत्रोक्त पूजा और कलश यात्रा में चंदवंशीय के सी बाबा के परिजनों ने भी भागेदारी निभाई। पुरोहित पंडित स्व •भूवन कुलेठा, खीमानंद जोशी, दीपक कुलेठा , गिरीश कलौनी ने आयोजन के सहभागी बने।
पशु चिकित्सक डा• हरीश जोशी,हेमा जोशी ने मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण में सहयोग दिया।

कदली वृक्षों को नागनाथ के पुजारियों के निवास स्थल रौढ्यूढा से लाने की परंपरा चली आ रही है। यहां नंदा सुनंदा के डोले के साथ भगवती का डोला भी साथ साथ निकलता है। जो बालेश्वर, भैरवां,मादली, जीआईसी चौक, शांत बाजार, स्टेशन, ज्ञाली सैरान, नागनाथ, मल्लीहाट, तल्लीहाट होते हुए वापस बालेश्वर मंदिर पहुँचता है। कदली वृक्ष आमंत्रण,आगमन व डोलयात्रा के दौरान नागनाथ मंदिर के पुजारी रावल और नाथ जी जहाँ पूजा अर्चना करते है वहीं तूरी परिवार के लोग गाजे बाजे के साथ नौमत लगाते है।

वर्ष 2008 में इसकी कमान पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष त्रिभूवन गिरी को मिली। उनके निधन कै बाद अब अध्यक्ष का पद एडवोकेट शंकर दत्त पाण्डेय के पास है।
आयोजन में ऐंपड़, सुलेख, मेंहदी, फेंसी ड्रेस, सामान्य ज्ञान और पेंटिंग प्रतियोगिताऐं होती आई है।

2010 में छपी पहली स्मारिका

चम्पावत : वर्ष 2010 में वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पांडेय के संपादन में पहली स्मारिका का प्रकाशन हुआ। जिसमें पत्रकार योगेश जोशी का छायांकन में कैलाश पांडेय, नीरज पुजारी का मुद्रण में और गौरव वर्मा, रितेश राय तथा स्व • दीपक लारा का विज्ञापन में सहयोग रहा।
इस स्मारिका में चम्पावत की भौगोलिक, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों की जानकारी के साथ ही मां नंदा को लेकर ज्ञानवर्धक व रोचक तथ्यों तथा समसामयिक विषयों पर लेख प्रकाशित हुए।

फाउडंर कमेटी में शामिल रहे लोग

चम्पावत : फाउडंर कमेटी में नारायण साह, सज्जन वर्मा, डी डी जोशी, देवी लाल वर्मा, बहादुर फर्त्याल, दिनेश पांडेय, लक्ष्मण तड़ागी, ईश्वरीय दत्त कोटिया, हरगोविंद बोहरा, इंद्र सिंह बोहरा, बसंत तड़ागी, बद्री लाल वर्मा, श्याम कार्की, शंकर पांडेय, त्रिभूवन गिरी , प्रकाश पांडेय, दीपक लारा, राजेन्द्र गहतोड़ी, कौशल साह, प्रदीप साह, भैरव गिरी, किशन गिरी, विकास साह , विजय वर्मा, मुक्तेश वर्मा, नरेश जोशी , विमल साह , सचिन वर्मा, हेमंत वर्मा, विक्की चौधरी, राकेश बिष्ट, नितिन साह, रितेश राय, दीपक तडागी, मुन्ना राय, सौरभ साह, मोहित पचौली, अमित वर्मा, प्रदीप बोहरा, चंदन अधिकारी, मुकेश वर्मा, वी एन उपाध्याय, अशोक वर्मा आदि लोगों शामिल कर विभिन्न दायित्व सौंपे गए थे।

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