पूर्णागिरि धाम क्षेत्र में बढ़ती जा रहीं दरारें, लोग सकते में, कुछ दुकानों के लिए खतरा बढ़ा
टनकपुर। पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी के बाद कुछ हिस्सों में हुए भू-धंसाव से पूर्णागिरि क्षेत्र के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। भैरव मंदिर से आगे पैदल मार्ग कटौजिया क्षेत्र में फर्श में दरारें आईं हैं। पांच दिनों में ये दरारें चौड़ी हो गई हैं, जिससे रास्तों के साथ आसपास की चार दुकानों (रमेश पांडे, भुवन पांडे, घनश्याम तिवारी व दिनेश चंद्र) पर भी खतरा मंडरा रहा है। भैरव मंदिर के पास के नाले से होने वाले कटाव और जमराड़ी की पहाड़ी के एक हिस्से से होने वाला रिसाव भी दरार का कारण हो सकता है।
कटौजिया क्षेत्र के पैदल मार्ग पर नौ माह पहले निर्माण कार्य कराया गया था, तब काम पूरा होने के बाद छिटपुट दरारें उभर आईं थीं। जनवरी में जोशीमठ में भू-धंसाव होने के बाद पूर्णागिरि धाम में आई ऐसी दरारों से लोग सकते में थे। अब पांच दिनों से दरारें चौड़ी होने के साथ नई जगह पर भी दरार उभरने से लोगों की चिंता बढ़ने लगी है। इधर क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि भैरव मंदिर के पास के नाले से होने वाले कटाव और जमराड़ी की पहाड़ी के एक हिस्से से होने वाला रिसाव भी दरार का कारण हो सकता है। ऐसे में इस पहलु पर भी ध्यान देने की मांग की जा रही है। पूर्णागिरि मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी सहित क्षेत्रीय लोगों ने धाम की सुरक्षा के साथ बचाव के उपाय करने का प्रशासन से आग्रह किया है।
टीएचडीसी के सर्वे की रिपोर्ट आना बाकी
पूर्णागिरि धाम (चंपावत)। पूर्णागिरि धाम में भू-धंसाव रोकने के लिए एडीएम हेमंत कुमार वर्मा की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति गठित की गई थी। समिति ने ककरालीगेट से पूर्णागिरि धाम तक पांच साल में हुए आपदा प्रबंधन और निर्माण कार्यों के ब्योरे के साथ बचाव के उपाय सुझाव थे। टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) से सर्वे और मृदा परीक्षण कराया गया था। इसकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है। जिला सहायक भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. हरीश बिष्ट का कहना है कि पूर्णागिरि क्षेत्र के चट्टान के परीक्षण से तस्वीर साफ होगी। भारी वजन वाले निर्माण से बचने की नसीहत भी दी जा रही है।