जनपद चम्पावतटनकपुर

उचौलीगोठ में जेसीबी पर पथराव करने के मामले में तीन को छह-छह माह की सजा, कोर्ट ने 23 ग्रामीणों को किया दोषमुक्त

ख़बर शेयर करें -

टनकपुर। करीब दो साल पहले उचौलीगोठ क्षेत्र में खनन का विरोध करते हुए भीड़ एकत्र कर बलवा व पथराव करने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज नितिन शाह ने तीन लोगों को दोषसिद्ध पाते हुए छह-छह माह की सजा सुनाई है। मामले में 23 लोगों को दोषमुक्त किया गया है।

अभियोजन के अनुसार 14 मई 2021 को तरुण पंत ने कोतवाली में तहरीर देकर कहा था कि तहसील पूर्णागिरि क्षेत्र में उनका खनन पट्टा स्वीकृत हुआ था। जब वे अपने वाहन व जेसीबी को लेकर खनन क्षेत्र में पहुंचे तो गांव के कुछ लोगों ने उनकी जेसीबी मशीन पर पथराव किया और शीशे तोड़ दिए। चालक कमल पाल व हेल्पर सूरज पर भी पथराव किया गया। आरोप है कि चालक को मारने की कोशिश की गई। तरुण पंत ने अपनी जान माल को भी खतरा बताया था। पुलिस ने पुष्कर सिंह, मनोहर सिंह, दीपक सिंह, पंकज सिंह, मोहन सिंह, आनंद महर व अज्ञात के खिलाफ धारा 147, 149, 336, 427 के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी। विवेचना के बाद पुलिस ने कोर्ट में कुल 26 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज नितिन शाह ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों व गवाहों के बयानों के आधार पर तीन लोगों को दोषसिद्ध करार दिया। जबकि 23 लोगों को दोषमुक्त किया। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मनोहर सिंह पुत्र जोत सिंह, दीपक सिंह पुत्र राजेन्द्र सिंह, पंकज सिंह पुत्र राजेन्द्र सिंह, मोहन सिंह पुत्र देव सिंह, आनन्द महर पुत्र हयात सिंह महर, मनोज भट्ट पुत्र रमेश भट्ट, कैलाश चन्द्र भट्ट पुत्र रमेश चन्द्र भट्ट, मोहित कनवाल पुत्र हीरा सिंह कनवाल, अनिल सिंह पुत्र खीम सिंह, दीपक सिंह उर्फ प्रदीप पुत्र कृष्ण सिंह, दीपक सिंह पुत्र राजेन्द्र सिंह, हरीश सिंह पुत्र रघुवर सिंह, अजय सिंह कनवाल पुत्र खीम सिंह कनवाल, सुन्दर सिंह पुत्र मोहन सिंह, अनिल सिंह पुत्र कमल सिंह, प्रदीप सिंह महर पुत्र स्व. लक्ष्मण सिंह, हीरा सिंह पुत्र सोबन सिंह महर, विनय सिंह महर पुत्र कल्याण सिंह महर ललिता देवी पुत्र राजेन्द्र सिंह, पवन सिंह पुत्र तेहर सिंह सुन्दर सिंह उर्फ सुनील पुत्र रतन सिंह, चंचल सिंह पुत्र बची सिंह, चेतन सिंह पुत्र चतुर सिंह को धारा 147, 323, 427, 504, 506 भारतीय दंड संहिता 1860 सपठित धारा – 149 भारतीय दंड संहिता 1860 के अधीन दोषमुक्त किया जाता है।

वहीं अभियुक्तगण त्रिलोक सिंह पुत्र रमेश सिंह, पुष्कर सिंह पुत्र प्रताप सिंह, गणेश सिंह महर पुत्र प्रह्लाद सिंह महर को धारा 323, 504, 506 भारतीय दंड संहिता 1860 सपठित धारा-149 भारतीय दंड संहिता 1860 के अधीन दोषमुक्त एवं धारा 147 सपठित धारा – 149 भारतीय दंड संहिता 1860, धारा – 427 सपठित धारा-149 भारतीय दंड संहिता 1860 के अधीन दोषसिद्ध किया जाता है ।

अभियुक्तगण त्रिलोक सिंह, गणेश सिंह महर तथा पुष्कर सिंह महर को धारा-147 व धारा-427 भारतीय दंड संहिता 1860 सपठित धारा-149 भारतीय दंड संहिता 1860 के अपराध के लिए में छः-छः माह के सश्रम कारावास एवं मु0 5,000-5,000 /- रुपये (पांच-पांच हजार रुपये) जुर्माने से दण्डित किया जाता है। जुर्माने की राशि अदा न करने पर अभियुक्तगण एक-एक माह के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतेंगे। अभियोजन पक्ष की ओर से मामले की पैरवी सहायक अभियोजन अधिकारी उपेंद्र शर्मा ने की।