उत्तराखंड # देहरादून के लोहारी गांव ने ली जलसमाधि, व्यासी जल विद्युत परियोजना की भेंट चढ़ा, ग्रामीणों ने रोते बिलखते खाली किया गांव
देहरादून। जनपद की कालसी तहसील के गांव लोहारी ने जलसमाधि ले ली है। यह गांव व्यासी जल विद्युत परियोजना की भेंट चढ़ा है। अपने पुश्तैनी खेत खलियान ओर बाप दादाओं द्वारा बनाये गए आशियानों को डूबता देख ग्रामीणों की आंखों से आंसू छलक पड़े। ग्रामीणों ने रोते बिलखते गांव को खाली किया। लोहारी गांव को मौके पर पहुंची प्रशासन की टीम ने खाली कराया। व्यासी जल विद्युत परियोजना के डूब क्षेत्र में आए लोहारी गांव को खाली कराये जाने की कवायद लम्बे समय से की जा रही थी, लेकिन ग्रामीण मुआवजा दिए जाने और जमीन के बदले जमीन दिये जाने की मांग पर अड़े थे। हालांकि, कुछ समय पूर्व सभी प्रभावित परिवारों को मुआवजा की राशि दी जा चुकी है। ग्रामीणों के विस्थापन का कोई हल नहीं निकल पाया है। वहीं दूसरी ओर व्यासी जल विद्युत परियोजना के पूरी हो जाने के बाद लोहारी गांव खाली न होने से दिक्कत आ रही थी, जिसके चलते प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए ग्रामीणों को 48 घंटे में गांव खाली करवाने का नोटिस चस्पा किया और समय पूरा हो जाने के बाद प्रशासन की टीम बुलडोजर लेकर गांव में धमक गई और अपनी कार्रवाई शुरू करते हुए गाँव को खाली करा दिया।
अपने घरों को उजड़ता देख लोगों का दर्द आसुओं के जरिये छलकता साफ दिखाई दे रहा था। गांव खाली होते ही झील का जल स्तर बढ़ा दिया गया। जिससे पूरा गांव में डूबता नजर आया। जलसमाधि लेते गांव की तस्वीरें हर किसी को विचलित कर रही थीं। ग्रामीण ऊँचाई पर बैठ कर गांव को डूबता हुआ देख कर रोते बिलखते रहे। प्रशासन की ओर से टीम की अगुवाई कर रहे एडीएम देहरादून शिव कुमार बर्नवाल को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। वहीं स्थिति का जायजा लेने और ग्रामीणों से मिलने पहुंचे पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने ग्रामीणों से वार्ता कर उनकी समस्याओं को सुना और मोबाइल पर ही संबंधित विभाग के अधिकारियों की लताड़ लगाते हुए ग्रामीणों के लिए अस्थाई रहने की व्यवस्था करने के सख्त दिशा निर्देश दिए।
व्यासी जल विद्युत परियोजना एक नजर में
स्थान: लखवाड़ , जिला देहरादून ब्लॉक कालसी
स्वामित्व : उत्तराखंड जलविद्युत निगम
यमुना नदी पर निर्मित परियोजना
बांध की ऊंचाई : 204 मीटर (669 फीट)
उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट
टरबाइन तीन (सौ-सौ मेगावाट क्षमता की)
परियोजना का कुल रकबा : 9.57 वर्ग किलोमीटर
निर्माण आरंभ : 1987