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डीजीपी अशोक कुमार ने साझा किए अपने 34 साल के अनुभव, कल होंगे रिटायर्ड

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देहरादून। 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार कल उत्तराखंड डीजीपी के पद से सेवानिवृत हो जाएंगे। 2020 में जिस समय संपूर्ण देश कोरोना महामारी सेजूझ रहा था, उस वक्त आईपीएस अशोक कुमार ने बतौर उत्तराखंड डीजीपी की कमान संभाली थी। प्रदेश की कमान संभालने के बाद बतौर डीजीपी अशोक कुमार ने कानून व्यवस्था को लेकर कई अहम काम किए। आम जनता की समस्याओं को दूर किया। ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर पुलिस कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई भी की। डीजीपी की कमान संभालने के बाद अशोक कुमार ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई बेहतरीन प्रयास किए। कोरोना काल में विकट परिस्थितियों से जूझते हुए बेहतरीन पुलिसिंग की। हरिद्वार महाकुंभ, कांवड़ यात्रा, चारधाम यात्रा में बेहतरीन कार्य अशोक कुमार के बतौर डीजीपी कार्यकाल में शुमार हैं। इसके अलावा ऑपरेशन स्माइल, ऑपरेशन प्रहार, ऑपरेशन मर्यादा, ड्रग्स फ्री देवभूमि सहित कई अभियानों में डीजीपी अशोक कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने कामयाबी हासिल की।

34 साल से ज्यादा की पुलिस सेवा: अपनी सेवा के आखिरी दिन डीजीपी अशोक कुमार ने मीडिया से बातचीत की और बताया कि पुलिस की नौकरी हर दिन नए अनुभव के साथ होती है। अपनी साढ़े 34 साल की पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई सफलताओं को छुआ। उन्होंने बताया कि हरिद्वार में बढ़ता हुआ क्राइम हो या फिर उत्तराखंड आंदोलन। उन्होंने उस दौर में भी कार्य किया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के कई ऐसे जिले जहां पर क्राइम का ग्राफ लगातार ऊपर था, हर प्रकार की चुनौतियों को उन्होंने पार किया।

पुलिस की छवि को सौम्य बनाया: अपने सेवा काल को लेकर डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने जनता को पुलिस के नजदीक लाने का काम किया और खाकी पर विश्वास रखने के लिए लगातार प्रयास किए, ताकि पुलिस की छवि लोगों के मन में बेहद सौम्या और मित्र पुलिस की तरह रहे। हालांकि वे बदमाशों के लिए बहुत ही कड़े थे। उन्होंने अपने आगे के जीवन को लेकर बताया कि वह लेखन, खेल में रुचि रखते हैं। आगे भी इस क्षेत्र में कार्य करेंगे।

पुलिस के दर्द को बुक में उकेरा: डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने ‘खाकी मेंइंसान’ पुस्तक के जरिए पुलिस के दर्द को उकेरा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अभी भी साइबर क्राइम और ड्रग्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिनको रोका जाना बेहद जरूरी है। हालांकि, मामले पर उन्होंने भी भरसक प्रयास किया और काफी सफलता भी मिली। गौरतलब है कि 30 नवंबर को पुलिस लाइन में डीजीपी के तौर पर अशोक कुमार को आखिरी सलामी दी जाएगी।