उत्तराखंड : निकाय चुनाव में पहली बार नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक, कैंडिडेट के एक-एक खर्च पर होगी नजर, जानें क्या कुछ होगा नया
देहरादून। उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव की तारीख का बिगुल बच चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग ने आज 23 दिसंबर सोमवार को नगर निकाय चुनाव की घोषणा कर दी है। 23 जनवरी को निकाय चुनाव के लिए वोटिंग की जाएगी, जिसका रिजल्ट 25 जनवरी को घोषित किया जाएगा। इसी के साथ राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार नगर निकाय चुनाव में कुछ पहल की है।
बता दें कि उत्तराखंड में कुल 102 नगर निकाय हैं, जिसमें से 100 नगर निकायों पर चुनाव होने हैं। इन सौ नगर निकायों में 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद और 46 नगर पंचायत शामिल हैं। इन सभी निकायों में कुल 1309 वार्डों की संख्या है।
निर्वाचन आयोग के अनुसार 30,58,299 मतदाता हैं, जिसमें 15,77,228 पुरुष मतदाता और 14,80,528 महिला मतदाता हैं। इन सभी निकायों में कुल 1547 मतदान केंद्र और इन मतदान केंद्रों में कुल 3458 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, जहां पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव में पहली बार पिंक बूथ बनाए जाने का निर्णय है। भारत निर्वाचन आयोग की तर्ज पर राज्य निर्वाचन आयोग प्रदेश भर में 70 पिंक बूथ बनाने जा रहा है। निकाय चुनाव के मद्देनजर 1547 पोलिंग स्टेशन के साथ ही 3458 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, जिसमें से 70 को पिंक बूथ बनाया जाएगा। देहरादून नगर निगम में 20, रुद्रपुर में 15, हरिद्वार और हल्द्वानी में दस-दस। इसके अलावा ऋषिकेश, रुड़की और काशीपुर में पांच-पांच पिंक बूथ बनाए जाएंगे। पिंक बूथ की खास बात ये रहेगी कि इस बूथ में सभी अधिकारी और कर्मचारी महिला होंगी।
पहली बार होगी व्यय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति
राज्य निर्वाचन आयोग ने पहली बार व्यय पर्यवेक्षकों (Expenditure Supervisor) की तैनाती करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी जिलों में व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती करने के साथ ही व्यय नियंत्रण तंत्र इस्टेब्लिश किया जाएगा, ताकि प्रत्याशियों और पार्टी के खर्च की पूरी निगरानी करने के साथ ही लेखा-जोखा रखा जा सके। व्यय पर्यवेक्षक और सहायक व्यय पर्यवेक्षक प्रत्याशियों के खर्च को मॉनिटरिंग करेगा। वरिष्ठ वित्त सेवा या राज्य कर सेवा के अधिकारियों को ही व्यय प्रवेक्षक बनाया जाएगा। जिला स्तर पर बनाए जाने वाले व्यय नियंत्रण तंत्र में प्रशासन, आबकारी विभाग और पुलिस विभाग के लोग शामिल होंगे, जो छापेमारी कर कार्रवाही भी करेंगे।
दिव्यांग और अक्षम वोटर्स को पोलिंग बूथ तक वाहन लाने की मिलेगी परमिशन
किसी भी चुनाव के दौरान दिव्यांगजनों और अक्षम मतदाताओं के लिए अलग से व्यवस्थाएं की जाती हैं। इसी तरह नगर निकाय चुनाव में भी तमाम व्यवस्थाएं की जाती हैं, लेकिन व्यवस्थाओं का बेहतर लाभ दिव्यांगजनों और अक्षम वोटर को नहीं मिल पाता है। यहीं कारण है कि इस बार उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि पोलिंग बूथों पर बेहतर ढंग से व्यवस्थाओं को मुकम्मल किया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव ने बताया कि दिव्यांगजनों के साथ ही ऐसे लोग जो उम्र या फिर स्वास्थ्य की वजह से अक्षम हैं, उन लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही इस तरह के मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक वाहन लाने की परमिशन भी दी जाएगी।
प्रत्याशियों के चुनावी खर्च की बढ़ाई गई सीमा
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी खर्च सीमा को लेकर राजनैतिक दलों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में राजनैतिक दलों ने चुनावी खर्च सीमा को बढ़ाने का सुझाव दिया था। ऐसे में आयोग ने नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के तमाम पदों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की खर्च सीमा में संशोधन किया है। प्रत्याशियों के लिए तय किए गए चुनाव खर्च सीमा के अनुसार नगर प्रमुख नगर निगम में 40 वार्डों तक के लिए 20 लाख रुपये, 41 से 60 वार्डों तक के लिए 25 लाख रुपये, 61 या फिर उससे अधिक वार्डों के लिए 30 लाख रुपये की चुनाव खर्च सीमा तय की गई है।
इसी क्रम में उप नगर प्रमुख नगर निगम के लिए दो लाख रुपये और सभासद नगर निगम के लिए तीन लाख रुपये तय किए गए हैं। इसके साथ ही अध्यक्ष नगर पालिका परिषद में 10 वार्ड तक के लिए छह लाख रुपये और 10 से अधिक वार्डों के लिए आठ लाख रुपये तय किया गया है। सदस्य नगर पालिका परिषद के लिए 80 हजार रुपये, नगर पंचायत में अध्यक्ष प्रत्याशी के लिए तीन लाख रुपये और सदस्य नगर पंचायत के लिए 50 हजार रुपये की चुनाव खर्च सीमा निर्धारित की गई है।