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चम्पावत में वनाग्नि को लेकर हुई मॉक ड्रिल, लमाई पुनेठी व धूनाघाट में लगी आग

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चम्पावत। राज्य स्तरीय समुदाय-केंद्रित मॉक ड्रिल और वनाग्नि में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वनाग्नि मॉक ड्रिल की शुरुआत गुरुवार को जनपद चम्पावत में प्रातः 8:15 बजे जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में वनाग्नि की घटना दर्ज होने से हुई। वन अग्नि घटना की जानकारी प्राप्त होते ही जिलाधिकारी/अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नवनीत पांडे एवं इंसीडेंट रिस्पांस टीम (आईआरएस) के सभी अधिकारी तत्काल जिला मुख्यालय के जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचे। जिलाधिकारी ने आपदा परिचालन केंद्र में घटना की जानकारी ली और आपदा प्रबंधन, आईआरएस की टीम को घटनास्थल की ओर रवाना होने के निर्देश दिए।

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प्राथमिक सूचना के अनुसार आग चम्पावत जिले के जिला मुख्यालय के लमाई पुनेठी तथा तहसील पाटी के धुनाघाट लगी हुई थी। प्राप्त सूचना के अनुसार जिलाधिकारी के निर्देश पर वन अग्नि मॉक ड्रिल के तहत स्टेजिंग एरिया जिला मुख्यालय के गौरल चौड़ मैदान को बनाया गया। जहां से राहत टीम घटना स्थल को रवाना हुई। जिलाधिकारी के निर्देशानुसार घरेलू उपचार हेतु जिला चिकित्सालय को त्वरित हाई अलर्ट मोड पर रखा गया। इस मॉक अभ्यास में प्रथम चरण में एसडीआरएफ अधिकारियों, जिला प्रशासन के अधिकारियों, फायर विभाग, पुलिस, लोक निर्माण विभाग व स्वास्थ्य विभाग सहित सूचना एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा बैठक कर इस मॉक अभ्यास की संपूर्ण रूप रेखा तैयार की गई तथा द्वितीय चरण में वनाग्नि स्थलों में मौका अभ्यास किया गया।

अभ्यास के दौरान वनाग्नि से जनपद के दो स्थानो जिला मुख्यालय के लमाई तथा पाटी के धुनाघाट में आग फैलने का दृश्य रखा गया। जिसमें जिला मुख्यालय चम्पावत के पुनेठी के लमाई में घटनास्थल के पास 7 घर 1 मंदिर एवं 2 गौशालाएं थीं। जिन्हें वनाग्नि से खतरा था। सात घरों के कुल 18 लोगों को राहत केंद्रों में भेजा गया। जिसमें से दो महिला तीन पुरुष वनाग्नि से प्रभावित हुए। अधिक गंभीर एक पुरुष को प्राथमिक उपचार के उपरांत जिला चिकित्सालय रेफर किया गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए हेली की डिमांड भी की गई। अन्य दो पुरुष तथा दो महिलाओं को प्राथमिक उपचार के उपरांत राहत शिविर में भेजा गया। दो पशु (एक बछड़ा एवं एक बकरा) भी घायल हुए जिन्हें पशुपालन विभाग की टीम द्वारा प्राथमिक उपचार दिया गया। घटनास्थल के ऊपर से 400 केवी जोलजीबी बरेली लाइन गुजरती है जिसे उक्त घटना की दृष्टिगत पावर कट किया गया। वनाग्नि की रोकथाम हेतु घटनास्थल के 400 मी दाईं ओर और 500 मी बाई ओर तथा मुख्य मार्ग की ओर 200 मीटर की फायर लाइन बनाई गई तथा फायर ब्रेक एवं कंट्रोल लाइनों का भी निर्माण किया गया।


दूसरे मामले में तहसील पाटी के धूनाघाट में जंगल में आग लगी हुई थी। धुनाघाट के इंसिडेंट कमांडर द्वारा बताया गया कि वनाग्नि में दो बकरियां झुलसी है तथा दो ग्रामीण अधिक घायल तथा 8 ग्रामीण व्यक्ति एक वनकर्मी साधारण घायल हुए। घटना में कुल 11 व्यक्ति घायल हुए। एसडीआरएफ टीम द्वारा उक्त घायलों को रेस्क्यू किया गया। दो अधिक रूप से घायल व्यक्तियों को पीएचसी पाटी रेफर किया गया तथा 8 व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के बाद रिलीफ सेंटर में भेजा गया। पशुपालन विभाग की टीम द्वारा दो बकरियों का प्राथमिक उपचार किया गया। वन अग्नि स्थल पर वन विभाग एवं अन्य विभागों के कार्मिकों द्वारा 20 फीट की एक किलोमीटर तक की फायर लाइन काटी गई। उक्त क्षेत्र से पत्थर गिरने की घटना के दृष्टिगत मोटर मार्ग में यातायात रोका गया।घटनास्थल के पास ग्रामीणों के दो घर भी स्थित थे जिन्हें वनाग्नि के दृष्टिगत खाली करवाया गया। उक्त दो घरों के कुल 10 लोगों को राहत शिविर में भेजा गया।

इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपद में लगी वन अग्नि मॉक अभ्यास की जानकारी जिलाधिकारी/ अध्यक्ष जिला आपदा जिला प्रबंधन प्राधिकरण से ली। जिलाधिकारी द्वारा वन अग्नि मॉक अभ्यास अंतर्गत जनपद में घटना की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में वनाग्नि एक चुनौती के रूप में उभरी है। जिसमें मानव पशु व पारिस्थितिकी की क्षति होती है। जिसे होने से रोकने और उसके रोकने के उपाय खोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जंगलों में आग लगने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा यह बेहद ही सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा वैसे तो कोई भी आपदा बिना किसी सूचना के आती है इसलिए हमें फायर सीजन में चौबीसों घंटे सतर्क व अलर्ट मोड में रहने की आवश्यकता है।

मॉक ड्रिल के दौरान जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में पुलिस अधीक्षक अजय गणपति, प्रभागीय वनाधिकारी नवीन पंत, मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार सिंह, अपर जिला अधिकारी जयवर्धन शर्मा, सेना से मेजर आकाश दुबे, मुख्य पशु चिकित्साअधिकारी डॉ. वसुंधरा गर्ब्याल सहित आईआरएस के नामित अधिकारी तथा घटनास्थल पर धुनाघाट इंसिडेंट कमांडर उप जिलाधिकारी नितेश डांगर, चम्पावत में तहसीलदार जगदीश नेगी, शीतलाखेत के गजेन्द्र पाठक, डीडीएमओ देवेंद्र पटवाल सहित एसडीआरएफ, फॉरेस्ट, फायर, पुलिस, स्वास्थ्य सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

फायर सीजन 15 फरवरी से शुरू माना जाता है और इससे पहले ही तैयारियों को परखने के लिए आज जो मॉक ड्रिल की गई हैं, निश्चित तौर पर इससे फायर सीजन में वनाग्नि की रोकथाम हेतु सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम सभी को अल्मोड़ा के आदर्श शीतला खेत मॉडल को अपनाने की आवश्यकता है। जिसमें लोगों में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाएं कि ये वन संपदा किसी व्यक्तिगत की संपदा नहीं है। आपदा से निपटने के लिए स्थानीय लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जन संयोग से ही वनाग्नि की घटनाओं में कमी आएगी। हम सभी को आपस में मिलकर इसे बचाने का कार्य करना होगा, तभी हमारी आने वाली पीढ़ी हमारे वनों को देख पाएगी। इसीलिए यह कार्य किसी एक विभाग का कार्य न होकर हम सभी का संयुक्त कार्य है जिससे वनाग्नि की घटनाओं को होने से रोक पाएंगे

मॉक ड्रिल के दौरान जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में पुलिस अधीक्षक अजय गणपति, प्रभागीय वनाधिकारी नवीन पंत, मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार सिंह, अपर जिला अधिकारी जयवर्धन शर्मा, सेना से मेजर आकाश दुबे, मुख्य पशु चिकित्साअधिकारी डॉ वसुंधरा गर्ब्याल सहित आईआरएस के नामित अधिकारी तथा घटनास्थल पर धुनाघाट इंसिडेंट कमांडर उप जिलाधिकारी नितेश डांगर, चंपावत में तहसीलदार जगदीश नेगी,शीतलाखेत के माडल गजेन्द्र पाठक, डीडीएमओ देवेंद्र पटवाल सहित एसडीआरएफ, फॉरेस्ट, फायर, पुलिस, स्वास्थ्य सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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