शिया वक्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने अपनाया सनातन धर्म, ये होगा नया नाम


नई दिल्ली। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सनातन धर्म अपना लिया है। इसके साथ ही उनका नाम भी बदल गया है। वसीम रिजवी का नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी होगा। सोमवार सुबह गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सनातन धर्म में उनकी वापसी करवाई। देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में स्थित शिव शक्ति धाम डसना के पीठाधीश्वर महंत नरसिंहानंद गिरी ने वसीम रिजवी का डासना मंदिर में ही विधि विधान से हिंदू धर्म अपनाने का संस्कार किया। इस्लाम छोड़कर हिन्दू बनने के बाद जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) ने कहा, ‘धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं। सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं हैं। इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते।
बता दें कि पिछले महीने 12 नवंबर को वसीम रिजवी ने अपनी किताब ‘मोहम्मद’ के विमोचन के बाद कहा था कि यदि उनकी हत्या कर दी जाती है, तो उनका अंतिम संस्कार सनातन धर्म के विधि विधान से किया जाए। अंतिम संस्कार का अधिकार महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी को देते हुए कहा था कि यदि जिहादियों द्वारा उनकी हत्या होती है तो इस्लामिक रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार न करके उनका शव महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी को दिया जाए और स्वामी जी सनातन रीति रिवाजों से उनका अंतिम संस्कार करें। उनकी बात पर महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी ने भी कहा था कि अगर इस्लाम के जिहादी वसीम रिज़वी की हत्या करते हैं तो वो स्वयं हथियार उठाकर इसका प्रतिशोध लेंगे।
कट्टरपंथी विचार रखने वाले लोगों से लगातार वसीम रिजवी को धमकी मिल रही थी। पिछले दिनों उन्होंने अपनी वसीयत में भी लिख दिया था- ‘मरने के बाद उन्हें दफनाने की बजाय हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जाए’। वसीम रिजवी ने पिछले दिनों एक वीडियो जारी कर कहा था कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है। कट्टरपंथी उनकी गर्दन काटना चाहते हैं। ऐसा सुप्रीम कोर्ट में कुरान की 26 आयतों के खिलाफ याचिका दायर के बाद हुआ था।
गौरतलब है कि पिछले कई सालों से अपनी बेबाकी के चलते वसीम रिजवी लगातार चर्चा में रहे हैं। सर्वाधिक चर्चा में तब आए थे, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कुरान की आयतों को हटाने के लिए अर्जी दी थी। इस पर कई अल्पसंख्यक संगठनों ने उनका विरोध किया था। इसके बाद वसीम रिजवी की किताब को लेकर भी काफी विवाद हुआ था, इसमें कुछ चौंकाने वाली बातें हैं।


