उत्तर प्रदेश

गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के गुर्गे संजीव जीवा का कोर्ट के बाहर मर्डर हुआ, वकील की ड्रेस पहनकर आए थे हत्यारे

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गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के गुर्गे संजीव जीवा की लखनऊ कोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्यारे वकील की ड्रेस पहनकर आए थे। उन्होंने ताबड़तोड़ गोलियां दागी और मौके से भाग निकले। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जीवा को देखा तो वो मर चुका था। जीवा ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड का मुख्य आरोपी था।

पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता था। अपने शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर की नौकरी करता था। इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी।

इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा, लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी। इसके बाद उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्हदत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद ही उसकी मुलाक़ात मुख्तार अंसारी से हुई। कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट बरी कर दिया था। 2022 तक पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका था, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं, संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं। उसकी संपत्ति भी प्रशासन द्वारा कुर्क की गई थी।

जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे। इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनके पति की जान को खतरा है।