हनुमान जन्मोत्सव # 22 कारीगरों ने 56 घंटे में तैयार किया एक टन का महालड्डू, बजरंगबली को लगेगा भोग
मध्य प्रदेश में पहली बार हनुमान जी को एक टन के महालड्डू का भोग लगाया जाएगा। जबलपुर स्थित पचमठा दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर समिति ने बजरंगबली को एक टन का महालड्डू चढ़ाने का निर्णय लिया है। तीन राज्यों को कारीगरों ने निर्धारित समय पर लड्डू का निर्माण पूरा कर लिया है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के हलवाइयों ने मिलकर लगातार तीन दिन काम कर के एक टन के महालड्डू का निर्माण किया है। लड्डू के ऊपर की गई विशेष सजावट कोलकाता के कारीगरों ने की है। एकादशी के दिन अन्नपूर्णा पूजन के साथ ही लड्डू का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कारीगरों ने 56 घंटों में महालड्डू को आकार दिया है। महालड्डू के निर्माण के बाद पूज्य जगदगुरू सुखानंद द्वाराचार्य स्वामी राघव देवाचार्य महाराज ने लड्डू का पूजन कर इसे स्थापित किया। फिलहाल गुजरात के भावनगर से आई विशेष कढ़ाई में महालड्डू को श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए रखा गया है। महालड्डू गर्मी से खराब न हो इसलिए मंदिर में कूलर लगाए गए हैं।
एक टन के महालड्डू को बनाने में करीब 600 किलो शक्कर, 250 किलो बेसन, 12 टिन घी, 5 टिन तेल, 15 किलो ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल किया गया है। पचमठा हनुमान मंदिर समिति के 22 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस साल मंदिर में 1 टन के महालड्डू का भोग रामलला को लगाया जा रहा है। बीते 2 सालों से कोरोना महामारी के चलते आयोजन नहीं किए जा सके, इसलिए इस साल मंदिर समिति ने भव्य आयोजन करने का निर्णय लिया है। शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर रात 9 बजे हनुमान जी को 56 भोग लगाए जाएंगे। 56 भोग के साथ ही 1 टन के महालड्डू का भोग लगाया जाएगा। हनुमान जन्मोत्सव के दिन सुबह मंदिर की पूजा के साथ ही श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करने का काम शुरू हो जाएगा। आस-पास के क्षेत्र की महिलाएं करीब 50 किलो लड्डू बना रही हैं। जिसका वितरण सुबह से श्रद्धालुओं को किया जाएगा। हनुमान जी को महालड्डू का भोग लगने के बाद समिति के सदस्यों द्वारा अनवरत प्रसाद वितरण किया जाएगा। समिति ने करीब 5 हजार श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटने के लिए डिब्बों को व्यवस्था की है, डिब्बों के जरिए उन श्रद्धालुओं तक प्रसाद पहुंचाया जाएगा जो मंदिर आने में समर्थ नहीं हैं। मंदिर समिति ने लड्डू निर्माण के लिए और सामग्री की व्यवस्था की ताकि किसी भी श्रद्धालु को मंदिर से बिना प्रसाद लिए खाली हाथ न लौटना पड़े।