हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ीं, सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कॉर्बेट अवैध निर्माण के लिए बताया दोषी
उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट की ‘सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी’ (सीईसी) ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के कालागढ़ वन प्रभाग के पांखरो एवं मोरघट्टी वन क्षेत्र में 2021 मेंटाइगर सफारी के निर्माण सहित अन्य अवैध कार्यों के लिए हरक सिंह रावत और तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद को दोषी बताया है।
सुप्रीम कोर्ट की सेंटर इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) ने कॉर्बेट नेशनल पार्क के तहत पाखरो टाइगर सफारी निर्माण के दौरान काटे गए पेड़ और पार्क क्षेत्र में किए गए कंक्रीट के निर्माण के मामले में अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च अदालत को सौंपी है। अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में सेंटर इंपावर्ड कमेटी ने कहा है कि पांखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्र में टाइगर सफारी के निर्माण एवं अन्य कार्यों के लिए रावत एवं किशन चंद दोषी हैं। समिति ने रिपोर्ट में किशन चंद द्वारा की गई कथित उक्त गड़बड़ियों के लिए रावत को जिम्मेदार मानते हुए उनको सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जारी करने की सिफारिश की है। साथ ही सुनवाई का अवसर देकर उचित कार्यवाही का अनुमोदन किया है। सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी ने उक्त गड़बड़ियों में लिप्त वन अधिकारियों पर उत्तराखंड के सतर्कता विभाग को उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्यवाही किए जाने का भी अनुमोदन किया है। सीईसी ने बाघ के प्राकृतिक वास में टाइगर सफारी बनाए जाने पर सख्त टिप्पणियां की हैं। साथ ही कहा हैकि सफारी का निर्माण बाघ के प्राकृतिक वास से दूर किया जाना चाहिए।