उत्तराखंड में बढ़ते गन कल्चर पर हाईकोर्ट सख्त, गृह सचिव व डीजीपी को दिया 14 दिन का समय
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में बढ़ते गन कल्चर, निर्वाचित सदस्यों की सुरक्षा और अवैध खनन की घटनाओं को रोकने के लिए दो सप्ताह के भीतर विस्तृत कार्ययोजना पेश करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने यह आदेश डीजीपी दीपम सेठ और सचिव गृह शैलेश बगौली को वर्चुअल माध्यम से सुनवाई के दौरान दिया।
सुनवाई एक जनहित याचिका पर हुई, जिसमें नैनीताल पंचायत चुनाव में सदस्यों के अपहरण और तमंचा इस्तेमाल के मामले पर चर्चा हुई। न्यायालय ने काशीपुर में 9वीं कक्षा के छात्र द्वारा शिक्षक को तमंचे से गोली मारने की घटना पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि अवैध हथियार तस्करों को जड़ से समाप्त करना होगा। न्यायालय ने कहा कि यदि अवैध तमंचों की सप्लाई पर रोक नहीं लगी तो यह अपराध बढ़ता ही रहेगा। न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे नियमित चेकिंग और सख्त कार्रवाई करें ताकि बच्चों और आम जनता के बीच हथियारों की पहुंच रोकी जा सके। यूएसनगर में हुई गोलीबारी को ‘डिजाइन्ड और मोटिवेटेड’ करार देते हुए पुलिस को निर्देश दिया गया कि संबंधित वीडियो को ध्यान से देखें और पूर्व निर्देशों का पालन करें। अवैध खनन की घटनाओं की भी कड़ी निंदा करते हुए खंडपीठ ने कहा कि हथियारबंद गैंग सक्रिय हैं और प्रशासन को तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे। कैमरा निगरानी, ड्रोन के उपयोग और अन्य तकनीकी उपाय अपनाने की बात कही गई।
डीजीपी दीपम सेठ ने बताया कि काशीपुर घटना में छात्र के पिता जो आरोपी हैं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और छात्र के पास तमंचा कैसे पहुंचा इसकी जांच जारी है। प्रदेश में कुल 4415 शस्त्र लाइसेंस हैं और पिछले तीन वर्षों में अवैध हथियारों के खिलाफ 1550 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, 3000 से अधिक अवैध हथियार जब्त किए गए हैं। पंचायत चुनाव से पहले भी कई अवैध हथियार बरामद किए गए थे।
गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि एक कमेटी गठन कर फैक्ट्री एवं दुकानों का ऑडिट किया जा रहा है, ताकि हथियारों के अवैध उत्पादन पर रोक लगाई जा सके। वे वाहनों के स्क्रैप की भी निगरानी कर रहे हैं, जिससे हथियार बनाए जाते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने न्यायालय के कदमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि नैनीताल घटना के बाद पूरे प्रदेश में इसे लेकर चिंता है और जनता न्यायालय से कार्रवाई की उम्मीद कर रही है। अगली सुनवाई 12 सितंबर को निर्धारित की गई है, जिसमें डीजीपी और गृह सचिव को विस्तृत प्लान प्रस्तुत करना होगा
