पीसीएस अफसरों के प्रमोशन से पहले हो गया ‘चिट्ठी’ विवाद, अधिकारियों ने दर्ज कराई रिपोर्ट, जांच के बाद सामने आएगा ‘सच’
उत्तराखंड में शासन से लेकर जिलों के अफसरों तक में हड़कंप मचा हुआ है। मामला पीसीएस अफसरों के भ्रष्टाचार को लेकर यूपीएससी को दिए गए उस पत्र का है, जिसे अब कई पीसीएस अधिकारी झूठा बता रहे हैं। पीसीएस अधिकारियों ने मामले को लेकर मुकदमा दर्ज करवा दिया है। इस पूरे मामले में शिकायती चिट्ठी पर किए गए हस्ताक्षरों की जांच के बाद ही इस पूरी गुत्थी के सुलझने की संभावना है।
मालूम हो कि उत्तराखंड में कई पीसीएस अफसरों के इसी महीने होने वाली डीपीसी के बाद प्रमोशन प्रस्तावित हैं। इससे पहले एक चिट्ठी ने न केवल शासन में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि इस चिट्ठी की खबर आते ही राज्य भर के पीसीएस अफसरों में भी चहल-कदमी बढ़ गई है। स्थिति ये है कि चमोली जिले से लेकर देहरादून तक के कई पीसीएस अफसरों ने इस मामले में पुलिस को तहरीर देकर चिट्ठी से पीछा छुड़ाने की कोशिश की है।
दरअसल, संघ लोक सेवा आयोग को 12 पीसीएस अफसरों के नाम
वाली एक चिट्ठी पूर्व में भेजी गई। इसमें 9 पीसीएस अफसरों के हस्ताक्षर हैं। यही नहीं, इस चिट्ठी को डीओपीटी यानी केंद्रीय कार्मिक विभाग को भी भेजे जाने की खबर है। इस चिट्ठी के मिलने के बाद संघ लोक सेवा आयोग की तरफ सेमुख्य सचिव को एक पत्र भेजा गया। साथ ही इसकी प्रतिलिपि कार्मिक सचिव शैलेश बगोली को भी भेजी गई। इसमें कहा गया कि उत्तराखंड में पीसीएस अफसरों के प्रमोशन को लेकर उनके पास शिकायत भेजी गई है, जिसको लेकर जल्द ही कार्रवाई की जाए।
इस चिट्ठी में पीसीएस से आईएएस में पदोन्नति की प्रक्रिया में गड़बड़ी विषय के साथ संघ लोक सेवा आयोग और सचिव कार्मिक भारत सरकार को पत्र भेजा गया था। पत्र में लिखा गया है कि, ‘हम उत्तराखंड सिविल सेवा के 2004 के बैच के अधिकारी हैं। हमारे द्वारा पूर्व में भी इस विषय से आपको अवगत कराया गया था, जिसमें शिकायतकर्ताओं के नाम को गुप्त रखने की बात कही गई थी। इसमें ना तो शिकायतकर्ताओं के नाम को गुप्त रखा गया और ना ही की गई शिकायत पर समुचित कार्यवाही की गई।
पत्र में बताया गया है कि 2021 में ऐसे कई अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नति दी गई जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। इसके बावजूद विभागीय स्तर पर इसे दबा दिया गया। यही नहीं, शिकायतकर्ता होने के कारण उन्हें परेशान करने की कोशिश की गई। शिकायत में लिखा गया है कि प्रदेश में पीसीएस से आईएएस में पदोन्नति की प्रक्रिया फिर से होनी है। इस बार भी ऐसे अधिकारियों के नाम प्रमोशन के लिए रखे गए हैं जो उसमें रखे ही नहीं जा सकते हैं। यही नहीं, एक अधिकारी पर आय से अधिक संपत्ति का भी आरोप है। ऐसे में प्रमोशन के लिए पात्र अधिकारियों के खिलाफ षडयंत्र कर उनको प्रमोशन के लाभ से दूर रखे जाने की कोशिश की जा रही है। लिहाजा जिन अधिकारियों को पदोन्नति की प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है, उनके सेवाकाल की स्वतंत्र संस्था की तरफ से जांच कराने के बाद ही उन्हें पदोन्नति दी जाए।
चिट्ठी के सामने आने के बाद चमोली के सीडीओ ललित नारायण मिश्रा और चमोली के एडीएम अभिषेक त्रिपाठी ने चिट्ठी को झूठा बताकर मामले में एफआईआर दर्ज करवा दी है। इतना ही नहीं, देहरादून में भी रामजी शरण, शिव कुमार बरनवाल, राहुल कुमार गोयल ने पुलिस को तहरीर दे दी है। इस मामले को लेकर हालांकि कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। बताया जा रहा है कि इससे पहले भी ऐसा ही एक पत्र शासन में भेजा गया था। यह पत्र सही है या गलत इसको लेकर कई तरह के पक्ष सामने आ रहे हैं। खास बात ये है कि इस मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद इसकी कॉपी संघ लोक सेवा आयोग और मुख्य सचिव को भेज दी गई है, लेकिन इस पूरे मामले के रहस्य की गुत्गुथी तभी खुल पाएगी जब इस चिट्ठी में किए गए हस्ताक्षरों की जांच की जाएगी। अब जांच के बाद ही इस मामले की गुत्गुथी सुलझ पाएगी।