लोकसभा चुनाव : पोलिंग पार्टियों की रवानगी से पहले 30 बीमार, सात की मौत, मृतकों में पांच होमगार्ड

21 सुरक्षाकर्मी समेत अन्य कर्मचारी को मिलाकर 30 से अधिक लोगों को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया। अचानक हुईं मौतो से हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, प्राचार्य मौके पर पहुंचे। बीमार लोगों का उपचार कराया गया।


मिर्जापुर/उत्तर प्रदेश। भीषण गर्मी और तपिश ने शुक्रवार को चुनावी ड्यूटी में जा रहे जवानाें व अन्य कर्मचारियों पर कहर बरपाया। पालीटेक्निक से रवाना होने के दौरान मतदान स्थल पर पहुंचते-पहुंचते कई लोग बीमार हो गये। जिनको उपचार के लिए अस्पताल लेकर आया गया। इसमें उपचार के दौरान पांच होमगार्ड, सीएमओ कार्यालय के एक लिपिक और एक सफाईकर्मी की मौत हो गई।
21 सुरक्षाकर्मी समेत अन्य कर्मचारी को मिलाकर 30 से अधिक लोगों को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया। अचानक हुईं मौतो से हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, प्राचार्य मौके पर पहुंचे। बीमार लोगों का उपचार कराया गया। मालूम हो कि पिछले चार-पांच दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी के चलते हर कोई परेशान हैं। शुक्रवार को पालीटेक्निक से रवाना हो रही पोलिंग पार्टियां भी गर्मी के कारण परेशान रहीं। पसीने से तरबतर लोग रवाना हुए। इस दौरान कई लोग गर्मी के चलते बीमार हुए, जिनको उपचार के लिए अस्पताल लाया गया।
सुबह से बीमार लोग अस्पताल पहुंचना शुरू हो गए थे। दोपहर होते-होते पोलिंग पार्टिंयां मतदान स्थल पर पहुंचने लगीं तो बीमार होने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी। अस्पताल पहुंचने पर होमगार्ड रामजियावन, सत्य प्रकाश, त्रिभुवन, रामकरन, बच्चाराम, लिपिक शिवपुजन श्रीवास्तव, सफाईकर्मी रवि प्रकाश की मौत हो गई।
इस दर्दनाक घटना को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने संज्ञान लिया है। इस मामले को लेकर उन्होंने सरकार पर निशाना साधा है। सोशल मीडिया एक्स पर उन्होंने लिखा है कि मिर्ज़ापुर में पोलिंग पार्टियों के 7 कर्मियों की मौत की ख़बर बेहद दुखद है। सरकार अपना मौन तोड़े और बदइंतज़ामी की वजह से जिनके परिवार उजड़ गये हैं, उनको भावनात्मक राहत देने के लिए आगे आए। सरकार 5 होमगार्ड, सीएमओ कार्यालय के 1 लिपिक और 1 सफ़ाईकर्मी के परिवार के लिए तुरंत 5-5 करोड़ का मुआवज़ा घोषित करे और जो अन्य कर्मी गर्मी के कारण बीमार पड़ गये हैं उन सभी लोगों को अच्छे-से-अच्छा उपचार उपलब्ध कराए। इस सरकार में कर्मचारियों के जीवन का कोई मोल नहीं है। न उनको सही समय पर पे कमीशन के रिक्मंडेशन के हिसाब से वेतन मिल पा रहा है, न पुरानी पेंशन का लाभ। कर्मचारियों को अनावश्यक कामों में उलझाकर भी उन्हें तनावग्रस्त जीवन जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है और सरकार के भ्रष्टाचार का ठीकरा भी उन्हीं कर्मियों और अधिकारियों के सर मढ़ा जा रहा है।
