मां पूर्णागिरि मेला : जय माता दी कहते आस्था के धाम में उमड़ रहे श्रद्धालु, हाथियों से सुरक्षा के लिए पांच दल गठित

टनकपुर। आस्था के धाम में चार दिनों में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मां पूर्णागिरि देवी के दर्शन किए। जय माता दी… के उद्घोष से पूरा माहौल भक्तिभाव से ओतप्रोत है। वाहनों के अलावा श्रद्धालु बड़ी संख्या में पैदल आ रहे हैं। अवकाश के बावजूद रविवार को पिछले तीन दिनों से कम श्रद्धालु पहुंचे। नौ मार्च से शुरू सरकारी मेला अब तीन महीने के बजाय सालभर चलेगा।


मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी का कहना है कि बीते 24 घंटे में 15 हजार श्रद्धालुओं ने शीश नवाया। मेला मजिस्ट्रेट सुंदर सिंह ने बताया कि मेला क्षेत्र की व्यवस्थाएं बेहतर हुईं हैं। मूल्य नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। भैरव मंदिर में पहली बार स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है। इससे चढ़ाई वाले इस स्थान पर तापमान बढ़ने पर श्रद्धालुओं को चिकित्सकीय मदद मिल रही है। मेला क्षेत्र में रविवार को तीन भंडारे लगे हैं।
परिजनों से बिछुड़ा नन्हा यूकांश, पुलिस ने मिलाया
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के आलम गलियान के आठ साल के यूकांश पुत्र सुरेश सिंह का काफी देर तक रो-रोकर बुरा हाल था। परिजनों के साथ पूर्णागिरि आया यूकांश पानी की टंकी के पास बिछुड़ गया और करीब सवा घंटे तक वह माता-पिता से नहीं मिल सका। भैरव मंदिर थाने के एसओ हरीश प्रसाद ने बताया कि रोते बच्चे को चुप कराने के बाद पिता का नाम पूछ परिजनों तक पहुंचाया गया। यहां महिला स्वयंसेवक भी खोया-पाया केंद्र में मददगार बन रहीं हैं।
पूर्णागिरि मार्ग पर हाथियों से सुरक्षा के लिए पांच दल गठित
टनकपुर। पूर्णागिरि मेले में पैदल आवाजाही कर रहे श्रद्धालुओं पर हाथियों के हमले का खतरा है। तीन दिन पूर्व उचौलीगोठ के पास सड़क पर हाथी आने के बाद वन विभाग ने सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं। पूर्णागिरि मार्ग पर नियमित गश्त के लिए पांच टीमें गठित की गईं हैं। दो कर्मचारियों को बूम पार्किंग स्थल के पास तैनात किया गया है। इन दिनों पूर्णागिरि दर्शन के लिए आ रहे यात्रियों की दिन-रात आवाजाही हो रही है। टनकपुर से बूम तक जंगल से लगे इस मार्ग पर आए दिन हाथियों की भी आवाजाही रहती है। मेला मजिस्ट्रेट एसडीएम सुंदर सिंह के निर्देश पर वन विभाग ने पूर्णागिरि मार्ग पर गश्त बढ़ा दी है। रेंजर महेश सिंह बिष्ट ने बताया कि हाथी से सुरक्षा के लिए पांच टीमें गठित की गईं हैं। इन्हें हाथी भगाने के लिए पटाखे, बंदूक, टॉर्च आदि जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।
