लखीमपुरी हिंसा केस मामले में मंत्री पुत्र ने किया सरेंडर, पिछले गेट से भेजा गया जेल
यूपी में लखीमपुर खीरी तिकुनिया हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत आदेश रद्द होने के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र और मुख्य आरोपी आशीष मिश्र ने रविवार को छुट्टी के दिन ही सरेंडर कर दिया। आशीष मिश्रा ने सीजेएम की कोर्ट में पहुंचकर सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने के बाद लखीमपुर के सदर कोतवाल की गाड़ी में बैठा कर गुपचुप तरीके से आशीष मिश्रा को जेल लाया गया। जहां पीछे के गेट से जेल में इंट्री हुई। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत आदेश रद्द होने के बाद प्रमुख आरोपी आशीष मिश्र मोनू को एक सप्ताह की मोहलत मिली थी, जो 25 अप्रैल सोमवार को समाप्त हो रही है। उधर, जमानत पर छूटे तिकुनिया हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष की ओर से जिला कोर्ट में डिस्चार्ज ऐप्लीकेशन दी थी। इसमें कहा गया था कि मुकदमा चलने लायक कोई सबूत नहीं हैं।
इस हाई प्रोफाइल केस में हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। इसे लेकर सवाल उठ रहे थे। आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और आरोपी को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने जवाब मांगा था कि आशीष मिश्रा की बेल कैंसल क्यों न की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों पर हमले के मुद्दे पर भी चिंता जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को नोटिस जारी कर गवाहों की सुरक्षा के मुद्दे पर विस्तृत जवाब मांगा था। अदालत ने यूपी सरकार को सभी गवाहों की सुरक्षा का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया था कि आशीष मिश्रा को जमानत के बाद एक प्रमुख गवाह पर बेरहमी से हमला किया गया था। हमलावरों ने धमकी दी थी कि अब जब बीजेपी यूपी चुनाव जीत गई है तो वे उसका ‘ख्याल’ रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए कहा था कि पीड़ितों को हर स्तर पर सुनवाई का अधिकार है। इस केस में पीड़ितों को सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है। हाईकोर्ट ने कई अप्रासंगिक तथ्यों और अनदेखे उदाहरणों को ध्यान में रखकर फैसला दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि एक हफ्ते में आशीष मिश्रा सरेंडर करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर हाईकोर्ट नए सिरे से विचार करे। पीड़ितों के वकील दुष्यंत दवे ने गुजारिश की थी कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट निर्देश दे कि इस बार किसी अन्य पीठ के सामने ये मामला जाए। सीजेआई ने कहा कि ऐसा आदेश पारित करना उचित नहीं होगा। हमें यकीन है कि वही जज दोबारा इस मामले को सुनना भी नहीं चाहेंगे। गौरतलब है कि बीते साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कस्बे में हुई हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की जान गई थी। आरोप है कि मंत्री पुत्र की कार ने पैदल चल रहे किसानों को कुचल दिया था। जांच टीम ने सीजेएम अदालत में मामले की जांच पूरी करते हुए 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी हैं। उन पर आरोप है जिस थार गाड़ी से किसानों की कुचलकर मौत हुई, उस पर आशीष मिश्रा सवार थे।