देशनवीनतमहादसा

मोरबी हादसा : भाजपा सांसद के परिवार के 5 बच्चों समेत 12 लोगों की हुई मौत, मरने वालों की संख्या पहुंची 141, जानें कब और कितनी लागत से बना था पुल

ख़बर शेयर करें -

गुजरात के मोरबी पुल हादसे में कई परिवार तबाह हुए। लापता लोगों की तलाश जारी है। इस घटना में भारतीय जनता पार्टी से एक सांसद को भी बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने अपने परिवार को 12 सदस्यों को खो दिया है। खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मोरबी जाने वाले हैं। वह पीड़ितों को परिवार से भी मुलाकात करेंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, राजकोट सांसद मोहनभाई कुंडारिया के परिवार के 12 सदस्यों की मौत हो गई है। घटना के बाद कुंडारिया खुद भी मौके पर पहुंचे थे और हालात का जायजा लिया था। सांसद के निजी सचिव ने एजेंसी से बातचीत में बताया था कि कुंडारिया की बहन के परिवार के 12 लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि इनमें 5 बच्चे भी शामिल थे।
मोरबी में रविवार को शाम करीब 7 बजे सस्पेंशन ब्रिज ढह गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हादसे के वक्त पुल पर करीब 500 लोग मौजूद थे। हादसे के बाद सेना और NDRF बचाव कार्य में जुट गए थे। साथ ही ड्रोन से भी घटनास्थल का जायजा लिया जा रहा था। कुंडारिया ने बताया, ‘यह बहुत दुखद है। पानी निकालने के लिए मशीनरी मौजूद है, ताकि हम अंदर दबे शवों का पता लगा सके, क्योंकि यहां बहुत मिट्टी है। मुझे लगता है कि ब्रिज ओवरलोड हो गया और इसकी वजह से घटना हुई। कई दल बचाव कार्य में लगे हुए हैं।’ गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी ने जानकारी दी थी कि घटना में 132 लोगों की मौत हुई है। अब तक मरने वालों की संख्या 141 पहुंच चुकी है। खबर है कि पुल का रखरखाव करने वाली कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसके अलावा मैनेजमेंट के 9 लोगों को भी हिरासत में लिया गया है। सोमवार को 5 सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने जांच शुरू कर दी है। यह पुल 7 महीने पहले रिनोवेशन के लिए बंद किया गया था। 26 अक्टूबर को कंपनी ने आम जनता के लिए इसे दोबारा खोल दिया था।

जानकारी के अनुसार लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व मोरबी के राजा सर वाघजी ठाकोर ने सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण कराया था। उस समय इसे ‘कलात्मक और तकनीकी चमत्कार’ कहा जाता था। इस पुल का उद्घाटन 20 फ़रवरी 1879 को मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। पुल के निर्माण के लिए आवश्यक सभी सामग्री इंग्लैंड से आई थी और निर्माण की लागत तब 3.5 लाख रुपए थी।