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लापरवाही : सरकारी अस्पताल की नर्स ने किसी और के बच्चे को किसी और को सौंपा, फिर ऐसे मिला नवजात को मां का साथ

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रुद्रपुर। जिला अस्पताल रुद्रपुर में बच्चा पैदा होते ही बगैर किसी वैधानिक कार्रवाई के स्टाॅफ नर्स के माध्यम से किसी अन्य को दे दिया गया। मामला उजागर होने पर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के हस्तक्षेप के बाद बच्चे को फिर से अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करा दिया गया।

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जानकारी के अनुसार रविवार की रात करीब 12 बजे नगर के ट्रांजिट कैंप निवासी उमाशंकर की पत्नी संगीता ने स्वस्थ बालक को जन्म दिया। आरोप है कि स्टॉफ नर्स ज्योति बाल्मीकि ने नवजात को सोडी कालोनी (निकट रेलवे स्टेशन) निवासी किसी दंपति को दे दिया। दंपति रात में ही नवजात को लेकर अपने घर चल दिए। इसमें नवजात के माता-पिता की रजामंदी की बात सामने आई है। सोमवार को इस मामले की सूचना किसी ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को दे दी। समिति की सदस्य पुष्पा पानू, किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य रजनीश बत्रा, अधिवक्ता के साथ जिला अस्पताल पहुंची। सीडब्ल्यूसी के हस्तक्षेप के बाद नवजात को दंपति के घर से वापस मंगाया गया। सीएमएस के निर्देश पर नवजात को न्यू बॉर्न बेबी वार्ड में भर्ती करा दिया।

नवजात के पिता उमाशंकर का कहना है कि उनका पहले से दो लड़के और एक बेटी है। पहले से तय किया था कि लड़का हो या लड़की किसी को गोद दे देंगे। गर्भधारण के बाद गर्भपात के लिए अस्पताल आए थे। तीन महीने का गर्भ होने के कारण गर्भपात नहीं किया जा सका। उमाशंकर ने बताया कि नर्स के माध्यम से बच्चा दंपति को दे दिया। वहीं स्टॉफ नर्स ज्योति बाल्मीकि का कहना है कि नवजात के माता-पिता की रजामंदी पर ही बच्चा दंपति को दिया गया।

मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएमओ डॉ. केके अग्रवाल ने प्रकरण की जांच के लिए डॉ. पंकज माथुर (अतिरिक्त निदेशक) की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी है। जांच कमेटी में मेडिकल काॅलेज के विभागाध्यक्ष मेडिसन प्रो. मकरंद सिंह और एसीएमओ डाॅ. डीपी सिंह को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। सीएमओ ने कहा है कि जांच के बाद जरूरत पड़ी तो इस प्रकरण में लिप्त कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

बच्चे को गोद देने की आरोपी नर्स ज्योति बाल्मीकि और रविवार रात ड्यूटी पर तैनात नर्स इंद्रा मोहनी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। संतोषजनक उत्तर न मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डॉ. आरके सिन्हा, पीएमएस जिला अस्पताल

किसी सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रकरण की जानकारी दी थी। अस्पताल आकर वास्तविकता का पता लगाया। मामला सही पाए जाने पर पीएमएस के सामने मामला उठाया। नवजात के पिता को बुलाया गया। बच्चा वापस मंगाया गया। नवजात के पिता ने बताया कि नर्स के माध्यम से ही यह सबकुछ हुआ है। सीडब्ल्यूसी नवजात के पिता और बच्चे को बगैर वैधानिक कार्रवाई के गोद लेने वाले की काउसलिंग की जाएगी। कार्यवाही अवैधानिक है। काउंसलिंग के बाद सीडब्ल्यूसी वैधानिक कार्रवाई करेगी। रजनीश बत्रा, सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड

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