उत्तराखण्डउधमसिंह नगरनवीनतम

रुद्रप्रयाग हादसे में खटीमा की निकिता भट्ट ने भी गंवाई जिंदगी, खबर सुनते ही बेसुध हुए परिजन, मूल रूप से चम्पावत जिले का रहने वाला है परिवार

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खटीमा/चम्पावत। शनिवार को रुद्रप्रयाग जिले के बदरीनाथ हाईवे पर रैंतोली के पास हुए भयावह सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या 15 हो गई है। एक घायल ने एम्स ऋषिकेश में उपचार के दौरान दम तोड़ा है। क‌ई अन्य अभी भी एम्स में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। मृतकों में मूल रूप से उत्तराखंड के चम्पावत जिले की रहने वाली निकिता भट्ट भी शामिल हैं। उनकी मौत की खबर मिलते ही उनके परिवार में कोहराम मचा हुआ है। सूचना मिलते ही उनके परिजन रुद्रप्रयाग की ओर रवाना हो गए हैं। वर्तमान में निकिता का परिवार उधमसिंह नगर जिले के खटीमा में कंजाबाग क्षेत्र में रहता है। निकिता, नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थी और अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए रुद्रप्रयाग के चोपता जा रही थीं, परंतु उन्हें क्या पता था कि उनका यह सफर जिंदगी का आखिरी सफर साबित हो जाएगा।

जानकारी के मुताबिक मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के पिपलाटी गांव निवासी निकिता भट्ट की बीते रोज रुद्रप्रयाग जिले में हुए भयावह सड़क हादसे में मौत हो गई। यह दर्दनाक हादसा उस समय घटित हुआ था जब नोएडा से 26 यात्रियों को लेकर एक टैम्पो ट्रेवलर रूद्रप्रयाग जिले के चोपता की ओर जा रहा था, इसी दौरान करीब 11 बजे जैसे ही वाहन रुद्रप्रयाग जिले से 5 किलोमीटर आगे बदरीनाथ हाईवे पर रैंतोली के पास पहुंचा तो तभी चालक को अचानक से नींद की एक झपकी लग गई। जिसके चलते वाहन अनियंत्रित होकर सड़क किनारे बने पैराफिट को तोड़ते हुए 250 मीटर नीचे अलकनंदा नदी में समा गया था। हादसे में निकिता की मौत की खबर सुनते ही उनके परिजन बेसुध हो गए। बता दें कि उनके पिता सितारगंज की एक शुगर फैक्ट्री में काम करते थे। कंपनी बंद होने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया था। तब से वह खटीमा के कंजाबाग स्थित अपने घर पर ही रहते थे। पिता के वीआरएस के बाद अब निकिता पर ही परिवार के सारे भरण पोषण की जिम्मेदारी थी। वह अपनी जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन भी कर रही थीं, लेकिन बीते रोज हुए हादसे में उनकी मौत से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। इस दुखदाई समाचार को सुनकर जहां उनकी मां चंद्रा भट्ट का रो-रोकर बुरा हाल है वहीं बहन को खोने के बाद उनका छोटा भाई आशीष भी गुमशुम हो गया है। आशीष अभी पढ़ाई कर रहा है। उसकी पढ़ाई का खर्चा भी निकिता ही उठाती थी।

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