जनपद चम्पावत

बदहाली : चम्पावत जिले में 191 सरकारी भवनों का नहीं हो रहा है उपयोग

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चम्पावत। जिले में खाली पड़े 191 सरकारी भवनों का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। इनमें से कुछ भवनों को तो निजी उपयोग में लाया जा रहा है। अब प्रशासन की ओर से खाली भवनों का उपयोग दूसरे विभागों के कार्यालयों को खोलने और अन्य विकास कार्यों के लिए करने का निर्णय लिया गया है।
डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी ने पिछले महीने जिले में खाली पड़े सभी सरकारी भवनों का विवरण तलब किया था। पता चला था कि कई ऐसे सरकारी भवन हैं, जिनका उपयोग लंबे समय से नहीं हो रहा है। डीएम ने कहा था कि भविष्य में अगर इस प्रकार के खाली भवन पाए जाते हैं तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एक महीने तक सभी विभाग ऐसे भवनों की तलाश करते रहें, जिनका कोई उपयोग नहीं है। बुधवार को सांसद आदर्श गांव रौलमेल में खाली पड़े सामुदायिक स्वास्थ्य भवन संबंधी खबर का संज्ञान लेकर डीएम ने फिर से विभिन्न विभागों को तलब किया। इसके बाद 191 सरकारी भवनों की सूची जारी हो गई। डीएम ने कहा है कि सरकारी भवनों के सदुपयोग के लिए गंभीरता से कार्य करना होगा। संबंधित विभाग के साथ ही अन्य विभागों और एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि यदि किसी विभाग को इस भवन में अपने कार्यकाल संचालन या शासकीय कार्य के लिए जरूरत है तो वह जल्द बताएं ताकि उन्हें यह भवन हस्तांतरित किया जा सके।

केएमवीएन की खाली पड़ी भूमि पर एडवेंचर पार्क बनाया जाए
चम्पावत। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के संयुक्त कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष दिनेश गुरुरानी ने जिला मुख्यालय में निगम की खाली पड़ी जमीन में एडवेंचर पार्क बनाए जाने की मांग उठाई है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में निगम के टनकपुर, पूर्णागिरि, श्यामलाताल, खेतीखान, चम्पावत, लोहाघाट स्थित पर्यटक आवास गृहों के सौंदर्यीकरण के लिए बजट उपलब्ध कराने, निगम की लीसा फैक्ट्री स्थित खाली पड़ी भूमि पर एडवेंचर पार्क और पर्यटक आवास गृह बनाए जाने की मांग की है।

महिला छात्रावास भी शोपीस बना
चम्पावत जिले के सबसे पुराने राजकीय डिग्री कॉलेज के महिला छात्रावास का सदुपयोग नहीं हो सका है। निर्माण के बाद से कभी किसी छात्रा ने इसका उपयोग नहीं किया। इसकी वजह छात्रावास में जरूरी आधारभूत सुविधाओं की कमी है। सीमावर्ती क्षेत्र विकास निधि (बीएडीपी) से वर्ष 2002 में लोहाघाट में दस लाख रुपये से दोमंजिले महिला छात्रावास का निर्माण किया गया था। अब यह भवन जीर्णशीर्ण हो रहा है। इसमें कभी छात्राएं तो नहीं रहीं, लेकिन एक बार इसमें रंगरोगन भी करा दिया गया। पेयजल सुविधा की कमी से छात्राएं यहां रहने से बचना चाह रहीं हैं। कुछ समय पूर्व कॉलेज प्रशासन ने पेयजल आपूर्ति के लिए नलकूप लगाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन नलकूप भी नहीं लग सका। लोहाघाट कॉलेज में 3300 छात्र-छात्राओं में से 52 प्रतिशत छात्राएं हैं। छात्रावास के उपयोग लायक न होने का खामियाजा छात्राओं को महंगे किराये के भुगतान के रूप में चुकाना पड़ रहा है। प्रभारी प्राचार्या चंद्रा जोशी का कहना है कि छात्रावास में जरूरी सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। छात्रावास के पंजीकरण के लिए कई बार विज्ञप्ति निकाली जा चुकी है, लेकिन किसी भी छात्रा ने पंजीकरण नहीं कराया।