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पीएम ने रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया, बोले- सामाजिक सुधारों के लिए असली जड़ों से जुड़ना जरूरी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज हैदराबाद के दौरे पर पहुंचे हैं। यहां उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान के 50वें वर्ष के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसके बाद प्रधानमंत्री11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंचे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ का अनावरण करने शमशाबाद पहुंचे। यहां उन्होंने यज्ञशाला में पूजा-अर्चना भी की।

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता तो स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी समानता का संदेश दोहरा रही है’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश में एक ओर सरदार साहब की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता की शपथ दोहरा रही है, तो रामानुजाचार्य जी की स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी समानता का संदेश दे रही है। यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है। भारत का स्वाधीनता संग्राम केवल अपनी सत्ता और अपने अधिकारों की लड़ाई भर नहीं था। इस लड़ाई में एक तरफ ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ थी, तो दूसरी ओर ‘जियो और जीने दो’ का विचार था। इसमें एक ओर ये नस्लीय श्रेष्ठता और भौतिकवाद का उन्माद था, तो दूसरी ओर मानवता और आध्यात्म में आस्था थी और इस लड़ाई में भारत विजयी हुआ, भारत की परंपरा विजयी हुई।
रामानुजाचार्य जी भारत की एकता और अखंडता की भी एक प्रदीप्त प्रेरणा हैं। उनका जन्म दक्षिण में हुआ, लेकिन उनका प्रभाव दक्षिण से उत्तर और पूरब से पश्चिम तक पूरे भारत पर है। आज रामानुजाचार्य जी विशाल मूर्ति स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है। इसी संदेश को लेकर आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा न केवल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी बल्कि भारत की प्राचीन पहचान को भी मज़बूत करेगी। उन्होंने कहा, “विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो। सामाजिक न्याय, सबको मिले, बिना भेदभाव मिले। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया हो वो पूरी गरिमा के साथ विकास के भागीदार बनें, इसके लिए आज का बदलता हुआ भारत, एकजुट प्रयास कर रहा है।”

पीएम बोले ‘सामाजिक सुधारों के लिए अपनी वास्तविक शक्तियों से परिचित होना जरूरी’
आज जब दुनिया में सामाजिक सुधारों की बात होती है, प्रगतिशीलता की बात होती है, तो माना जाता है कि सुधार जड़ों से दूर जाकर होगा। लेकिन, जब हम रामानुजाचार्य जी को देखते हैं, तो हमें अहसास होता है कि प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं है। ये जरूरी नहीं है कि सुधार के लिए अपनी जड़ों से दूर जाना पड़े, बल्कि जरूरी ये है कि हम अपनी असली जड़ो से जुड़ें, अपनी वास्तविक शक्ति से परिचित हों।

‘रामानुजाचार्य ने कर्मों के प्रति समर्पित किया अपना जीवन’
मोदी ने कहा, “भारत एक ऐसा देश है, जिसके मनीषियों ने ज्ञान को खंडन-मंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति से ऊपर उठकर देखा है। हमारे यहां अद्वैत भी है, द्वैत भी है और, इन द्वैत-अद्वैत को समाहित करते हुए श्रीरामानुजाचार्य जी का विशिष्टा-द्वैत भी है।” उन्होंने कहा, “एक ओर रामानुजाचार्य जी के भाष्यों में ज्ञान की पराकाष्ठा है, तो दूसरी ओर वो भक्तिमार्ग के जनक भी हैं। एक ओर वो समृद्ध सन्यास परंपरा के संत भी हैं, और दूसरी ओर गीता भाष्य में कर्म के महत्व को भी प्रस्तुत करते हैं। वो खुद भी अपना पूरा जीवन कर्म के लिए समर्पित करते रहे। पीएम ने कहा, “जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद अपने संबोधन में देशवासियों को बसंत पंचमी की बधाई दी। उन्होंने कहा, “मां शारदा के विशेष कृपा अवतार श्री रामानुजाचार्य जी की प्रतिमा इस अवसर पर स्थापित हो रही है। मैं आप सभी को बसंत पंचमी की विशेष शुभकामनाएं देता हूं।”

नवीन सिंह देउपा

नवीन सिंह देउपा सम्पादक चम्पावत खबर प्रधान कार्यालय :- देउपा स्टेट, चम्पावत, उत्तराखंड