शिमला में ताश के पत्तों की तरह ढह गया सात मंजिला भवन, कई और मकान भी आए जद में …


हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कच्चीघाटी इलाके में गुरुवार शाम करीब 5:30 बजे भूस्खलन के चलते सात मंजिला भवन भरभराकर ढह गया। भवन के मलबे से पहाड़ी के निचली तरफ बना दो मंजिला भवन और एक मकान भी मलबे में तबदील हो गए। वहीं, आधा दर्जन भवनों को भी खतरा हो गया है। प्रशासन ने इन भवनों को खाली करवा दिया है। गिरने से पहले ही सात मंजिला भवन को खाली करवा लिया था। भवन में रहे आठ परिवारों के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था। स्थानीय लोगों के अनुसार करीब दो हफ्ते पहले ही भवन की नींव से मलबा खिसकने लगा था। इस भवन के मालिक गुरमीत सिंह शिमला के रामबाजार में कारोबारी हैं। मौके पर पहुंचे नगर निगम उपमहापौर शैलेंद्र चौहान ने बताया कि यह सात मंजिला मकान गुरमीत सिंह का है जो रामबाजार में कारोबारी हैं।


स्थानीय लोगों के अनुसार करीब दो हफ्ते पहले ही भवन की नींव से मलबा खिसकने लगा था। आसपास के कई और मकानों में भी दरारें देखी गई थीं। भवन को बचाने के लिए कारोबारी ने नींव के समीप रिटेनिंग वॉल लगाने का फैसला लिया। कुछ दिन पहले ही यह रिटेनिंग वॉल लगाई गई। लेकिन बुधवार को इसमें भी दरारें पड़ गईं। इसकी नींव के पास बना एक मकान भूस्खलन से ढह गया। यहां बने निगम के शौचालय भी मलबे में तबदील हो गए। स्थानीय पार्षद संजय परमार से सूचना मिलते ही गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे नगर निगम उप महापौर और निगम अधिकारी मौके पर पहुंचे और आसपास के भवनों को खाली करवाया। सात मंजिला भवन पहले टेढ़ा होकर साथ लगते एक और भवन पर टिक गया। फिर शाम पांच बजकर 40 मिनट पर यह दूसरे भवन की रेलिंग और छज्जे तोड़ते हुए ढह गया। बता दें, कच्चीघाटी का यह इलाका सिंकिंग जोन है। एनएच से सटे इस क्षेत्र में कई बहुमंजिला भवन बने हैं। इनमें से ज्यादातर के नक्शे पास नहीं हैं, जहां सात मंजिला भवन ढहा है उसके नीचे की ओर नाले के पास बने भवनों में भी कुछ दिन से दरारें आना शुरू हो गई हैं। इनमें से कई मकानों की नींव और बेसमेंट भी ढह चुकी है। यदि बारिश जारी रहती है तो इस पहाड़ी पर बने आधा दर्जन भवन जमींदोज हो सकते हैं। एकसाथ कई भवनों में दरारें पड़ने के बाद किरायेदारों और भवन मालिकों ने भी यहां से पलायन शुरू कर दिया है। कच्चीघाटी में भवन गिरने के बाद प्रभावितों के ठहरने की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गई। डीसी आदित्य नेगी ने बताया कि दो भवन गिरे हैं। इनमें आठ परिवार रहे रहे थे। फौरी राहत के तौर पर हर परिवार को दस-दस हजार रुपये दिए हैं। एहतियात के तौर पर दो भवनों को खाली करवाया दिया है। इसके अलावा आईपीएच और लोनिवि के रेस्ट हाउस में प्रभावित परिवारों के लोगों की ठहरने की व्यवस्था की है। स्थानीय होटलियर भी मदद के लिए आगे आए हैं। संकट मोचन मंदिर की सराय में भी व्यवस्था की है। नगर निगम के आर्किटेक्ट प्लानर देवेंद्र मिस्टा ने बताया कि भवन का नक्शा पास है या नहीं इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। भवनमालिक से इसका रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। भवनमालिक कह रहे हैं कि उन्होंने साडा से इसे पास करवाया है। ऐसे में दस्तावेज देखने के बाद ही कुछ बता पाएंगे। फिलहाल साथ लगते असुरक्षित भवनों को खाली करवा दिया गया है।

