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स्वांला डेंजर जोन : ‘फोड़ा’ बना ‘नासूर’ पक्का ईलाज है वैली ब्रिज हुजूर …

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पिछले साल भी मुख्य अभियंता समेत तमाम आला अफसरों ने स्वांला में डाला था डेरा, क्या हुआ वही ढा़क के तीन पात

चम्पावत और पिथौरागढ़ जिले की लाइफ लाइन बंद होने से लाखों का काराबोर चौपट, एनएच के किनारे यात्रियों की बदौलत चलने वाली दुकानों व ढाबा मालिक बोहनी को तरसे, दुकान बंद करने की मजबूरी

वैकल्पिक मार्ग अमोडी सिप्टी भी हुआ खस्ता हाल, चम्पावत से टनकपुर का किराया वसूल रहे 600, गैस संकट गहराया लकड़ी में बना रहे खाना

दिनेश चंद्र पांडेय/ चम्पावत (उत्तराखंड)। उत्तराखंड के चम्पावत और पिथौरागढ़ जिले की लाइफ लाइन कहलाने वाली बारहमासी सड़क यानी टनकपुर पिथौरागढ़ नेशनल हाइवे के लगातार दसवें दिन बंद रहने से दोनों जनपदों में लाखों रुपये का कारोबार चौपट हो गया है। स्वाला डेंजर जोन जो पिछले साल तक ‘फोड़ा’ बना था, अबके नासूर बन गया है। ट्रीटमेंट में करोड़ों रुपया बहाने के बाद इसका पक्का ईलाज अभी भी दूर की कौड़ी बना है। अब विशेषज्ञ लोग वैली ब्रिज को इसका स्थाई समाधान मान रहे हैं।

सड़क बंद होने से एनएच के किनारे रोजी रोटी चलाने वाले कई दुकानदार तो बोहनी तक को तरस रहे है। वैकल्पिक मार्ग के रूप में छोटे वाहनों के लिए संचालित अमोड़ी सिप्टी चम्पावत सड़क भी खस्ताहाल हो गयी है। वहीं आपदा में अवसर खोजते हुए चम्पावत से टनकपुर तक का किराया 600 रुपया वसूलने से यात्रियों में रोष दिख रहा है। गैस संकट पैदा होने से गृहणियां परेशान है। उन्हें लकड़ी के चूल्हे में खाना बनाना पड़ रहा है। पिछले साल भी एनएच के मुख्य अभियंता सहित तमाम आला अधिकारियों ने यहां डेरा डाला था, लेकिन स्थाई समाधान के नाम पर आज भी ढाक के तीन पात वाली स्थिति बनी हुई है।


उत्तराखंड में चारधाम सड़क परियोजना के तहत टनकपुर से पिथौरागढ़ तक के 150 किमी मार्ग को सम्मिलित करते हुए बारहमासी सड़क का निर्माण हुआ, जिससे आवाजाही की सुगमता और यात्रा के समय में जबरदस्त बदलाव आया, लेकिन स्वांला अमोड़ी का क्षेत्र पहले से ही बालूयुक्त चट्टानों के चलते हमेशा भूस्खलन का क्षेत्र कहा जाता रहा है और सड़क चौडीकरण के दौरान इसमें डेंजर जोन बनते रहे। इससे पहले स्वांला से टनकपुर की तरफ बने डेंजर जोन ने भी खासा परेशान किया। पिछले साल स्वांला से पिथौरागढ़ की ओर एक और नया डेंजर जोन उभर कर आया। पिछली बरसात में तो यहां एनएच के मुख्य अभियंता सहित कई आला अधिकारियों ने डेरा डाला, लेकिन फिर से स्वांला डेंजर जोन का स्थाई समाधान नहीं खोज सके। पिछले वर्ष भूस्खलन रोकने के लिए उस पहाड़ी के ऊपर जेसीबी के जरिए समतलीकरण का कार्य किया गया, उसके चलते भूस्खलन का वह फोड़ा नासूर में तब्दील हो गया।


अब एनएच विभाग पर आरोप लग रहे हैं कि स्वांला में महज बजट खपाया जा रहा है। लोगों का कहना है कि यदि वहां पर वैली ब्रिज नहीं बनाया तो यह स्पाट हर साल खतरा बना ही रहेगा। उसी का नतीजा है कि इस बार भी यह डेंजर जोन परेशान कर रहा है। एक दो दिन तो सड़क कई दफा बंद रही। गत 29 सितंबर से एनएच बंद है। आज आठवे दिन भी स्वांला डेंजर जोन से मलवा नहीं हटाया जा सका है।

दरअसल यह मार्ग चम्पावत और पिथौरागढ़ जिले की लाइफ लाइन कहा जाता है। इसी मार्ग से सारी गतिविधियां संचालित होती है। आवागमन के साथ ट्रांसपोर्ट का सारा काम इसी पर निर्भर है। जिसके चलते जहां रोडवेज को लाखों का घाटा हो रहा है। वहीं करोडों का कारोबार ठप है। व्यापार संघ अध्यक्ष विकास साह बताते है कि बंदी व्यापारियों की कमर टूट गयी है। एनएच के किनारे दुकान चलाने वाले योगेश जोशी ने बताया कि बोहनी तक नहीं हो रही है। सुबह दुकान की साफ सफाई करने आते है फिर दुकान बंद कर दे रहे हैं। मिठाई वालों को कई किलो मिठाई फेंकनी पड़ रही है। चम्पावत रोडवेज स्टेशन की दुकानों के तो शटर डाउन है। हल्द्वानी मार्ग से
सब्जी आने के चलते इनके दामों में भी बढ गए है। नरेश बताते है कि ब्रिक्री भी कम हो रही है। यातायात बंद होने से बाजारों में खासी मंदी है। मयूख चौधरी कहते है गैस संकट बढ गया है। जिससे लोगों को गैस की किल्लत से जूझना पड़ रहा है।


इधर वर्तमान में अमोड़ी सिप्टी से होते हुए छोटे वाहनों के लिए जो वैकल्पिक मार्ग है वह भी खस्ताहाल हो गया है। लोनिवि के सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी महेश जोशी बताते हैं कि बीते रोज इस मार्ग पर दुर्घटना होते होते बची। उन्होंने दर्जा मंत्री श्याम नारायण पांडेय को घटनास्थल से फोन कर रोड की स्थिति को बताते उसके सुधारीकरण की मांग की। उधर आपदा में अवसर का लाभ उठाते हुए कुछ टैक्सी वाले चम्पावत से टनकपुर का 600 रुपया किराया वसूल कर रहे हैं। सौराई के पूर्व प्रधान दान सिंह बोहरा ने बकायदा सोशल मिडिया में इसका जिक्र कर प्रशासन ने किराया तय करने की मांग की है। बहरहाल इस मार्ग के बंद होने से आम जनजीवन पटरी से उतरा हुआ है।