भारत के टैक्सी संचालकों ने नेपाल की बसों को सीमा पर रोका, टैक्सियों की रोक के बाद बढ़ा विवाद
बनबसा। नेपाल प्रशासन ने भारतीय टैक्सी नंबर के वाहनों के प्रवेश पर कल बुधवार को अचानक रोक लगा दी। इसको लेकर हंगामा हो गया। भारतीय टैक्सी संचालकों ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया, लेकिन उसका हल नहीं निकल सका। गुरुवार को भी हंगामा बरपा रहा। दूसरे दिन भी जब भारतीय टैक्सी वाहनों को नेपाल में प्रवेश नहीं करने दिया गया तो टैक्सी संचालक भड़क उठे और उन्होंने नेपाल यातायात समिति की बस को शारदा बैराज पर भारत में प्रवेश करने से रोक दिया।
इस दौरान उनका कहना था कि भारतीय वाहनों पर नेपाल में रोक होगी तो वे भी नेपाल के वाहनों को भारत में नहीं आने देंगे। जानकारी के अनुसार हंगामे के बाद चम्पावत के डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी और सीओ ने नेपाल के जिलाधिकारी से फोन पर वार्ता की है, लेकिन देर शाम तक कोई हल नहीं निकल पाया था।
बताया जा रहा है कि टैक्सी संचालकों के गुस्से को देखते हुए पुलिस ने इस बस को नेपाल लौटा दिया। बस में 16 यात्री थे जो बाद में खुद की व्यवस्था कर गंतव्य को चले गए। चौकी प्रभारी हेमंत कठैत का कहना है कि चालक के पास भारत आने के कोई वैधानिक कागज न होने से बस लौटाई गई है।
प्रदर्शन करने वालों में टैक्सी संचालक जगदीश चंद, चंदन रौतेला, अनिल पाल, रविंद्र ज्याला, रफी अंसारी, भूरा सिंह, प्रदीप राय, बाबूराम बनवारी, शिवनाथ आदि शामिल थे। व्यापार मंडल अध्यक्ष परमजीत सिंह गांधी ने नेपाल प्रशासन से स्थानीय भारतीय टैक्सी वाहनों को महेंद्रनगर तक जाने की व्यवस्था सुचारु करने का आग्रह किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेपाल यातायात समिति के महासचिव महेश का कहना है कि उन्होंने भारत के दूरदराज के क्षेत्रों से बुकिंग पर आने वाले टैक्सी वाहनों को रोकने का आग्रह किया था न कि स्थानीय टैक्सी वाहनों को रोकने का। उन्होंने कहा कि दिल्ली, लखनऊ आदि दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले टैक्सी वाहन बुकिंग में यात्रियों को नेपाल लाते हैं और लौटते वक्त बहुत कम किराये पर यात्री लेकर जाते हैं जिससे नेपाल के टैक्सी संचालकों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। समिति ने नेपाल प्रशासन से ऐसे टैक्सी वाहनों को रोकने का आग्रह किया था, लेकिन प्रशासन ने स्थानीय वाहनों पर भी रोक लगाई दी जिससे ये स्थिति पैदा हुई है।